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पुल परावर्त ।
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दारिक पन (दारिक शरीर रह कर औदारिक योग्य जो पुल ग्रहण करते हैं ) वैक्रिय पने ( वैक्रिय शरीर में रह कर वैक्रिय योग्य पुद्गल ग्रहण करे ) तैजस् यदि ऊपर कहे हुवे सात प्रकार से पुद्गल जीव ने ग्रहण किये हैं व छोड़े हैं, ये भी सूक्ष्म पने और बादर पने लिये हैं और छोड़े हैं; द्रव्य से, क्षेत्र से काल से व भाव से एवं चार तरह से जीव ने पुद्गल परावर्त्त किये हैं ।
इसका विवरण ( खुलासा ) नीचे अनुसार:पुद्रल परावर्त्त के दो भेद:- १ बादर २ सूक्ष्म ये द्रव्य से, क्षेत्र से, काल से, भाव से,
१ द्रव्य से बादर पुगल परावर्त :- लोक के समस्त पुल पूरे किये परन्तु अनुक्रम से नहीं याने औदारिक पने पुल पूरे किये बिना पहले वैक्रिय पने लेवे । व तैजस पने लेवे, कोई भी पुद्गल परावर्त पने बीच में लेकर पुनः
दारिकपने के लिये हुवे पुद्गल पूरे करे एवं सात ही प्रकार से बिना अनुक्रम के समस्त लोक के सर्व पुगलों को पूरे करे इसे बादर पुगल परावर्त्त कहते हैं ।
२ द्रव्य से सूक्ष्म पुगल परावर्त्त - लोक के सर्व पुलों को औदारिक पने पूर्ण करे, फिर वैक्रिय पने फिर तेजस पने एवं एक के बाद एक अनुक्रम पूर्वक्र सात ही पुल परावर्त्त पने पूर्ण करे उसे सूक्ष्म पुगल परावर्त्त कहते पुद्रल
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