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________________ पच्चीस क्रिया । ( २५ ) २ अजीव का आरम्भ करे तो अजीव आरंभिया क्रिया लगे । ८ पारिग्गहिया क्रिया के दो भद- १ जीव पारिग्गहिया २ अजीव पारिग्गहिया । १ जीव का परिग्रह रक्खे तो जीव पारिग्गहिया क्रिया लगे । २ अजीव का परिग्रह रक्खे तो अजीव पारिग्गहिया क्रिया लगे । ६ मायावतिया क्रिया के दो भेद १ आयभाव बँकगया २ परभाव करणया | १ स्वयं अभ्यन्तर वांकां ( कुटिल ) आचरण श्राचरे तो आयभाव कणया क्रिया लगे । २ दूसरों को ठगने के लिये वांकां ( कुटिल ) श्राचरण आचरे तो पर भाव वकण्या क्रिया लगे । १० मिच्छादंसण बत्तिया क्रिया के दो भेद १ उणाइरित मिच्छादंसण बत्तिया २ तवाईरित मिच्छा दंसण वत्तिया । १ कम जादा श्रद्धान करे तथा प्ररूपे तो उपाइरित मिच्छा दंसण वत्तिया क्रिया लगे । २ विपरीत श्रद्धान करे तथा प्ररूपे तो तवाइरित मिच्छादंसण बत्तिया क्रिया लगे । For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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