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श्रोता अधिकार ।
( ३५१ )
श्रोता अधिकार श्रोता अधिकार श्री नंदि सूत्र में है सो नीचे अनुसार
. गाथा सेल' घण, कुड़ग, चालणी', परिपुणग', हंस', महिस', भेसे, य; मसग', जलूग', बिरालो, जाहग', गोभरि,आभेरी" सा ।।
चौदह प्रकार के श्रोता होते हैं जिनमें से प्रथम सेल घण जैसे पत्थर पर मेघ गिरे परन्तु पत्थर मेघ (पानी) से भीजे नहीं वसे ही एकेक श्रोता व्याख्यानादिक सुने परन्तु सम्यक् ज्ञान पावे नहीं, बुद्ध होवे नहीं।
दृष्टान्त:-कुशिष्य रूपी पत्थर, सद् गुरु रूपी मेघ तथा बोध रूपी पानी मुंग शेलिया तथा पुष्करावर्त मेघ का दृष्टान्तः-जैसे पुष्करावर्त मेघ से मुंग शेलीया पिघले नहीं वैसे ही एकेक कुशिष्य महान् संवेगादिक गुण युक्त श्राचार्य के प्रतिबोधने पर भी समझे नहीं, वैराग्य रंग चढ़े नहीं, अतः ऐसे श्रोता छोड़ने योग्य है एवं अविनीत का दृष्टान्त जानना
काली भूमि के अन्दर जैो नेघ बरसे तो वो भूमि अत्यन्त भीज जावे व पानी भी रकये तथा गोधूमादिक (गेहूं प्रमुख ) की अत्यन्त निष्पत्ति करे वैसे ही विनीत सुशिष्य भी गुरु की उपदेश रूप वाणी सुनकर हृदय में धार रक्खे, वैराग्य से भींज जावे व अनेक अन्य भव्य
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