SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 362
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (३५० ) थोकडा संग्रह। अनियही बादर गुण में-भाव ५, आत्मा ८ लब्धि ५, वीर्य १ पण्डित वीय, दृष्टि १ समकित, भव्य १, दण्डक १ मनुष्य का, पक्ष० १ शुक्ल । १० सूक्ष्म संपराय गुण० में-भाव ५ प्रात्मा ८, लब्धि ५, वीर्य १ पण्डित वीर्य, दृष्टि १ समकित, भव्य १, दण्डक १ मनुष्य का पक्ष १ शुक्ल ।। ११ उपशान्त मोहनीय गुण में-भाव ५, आत्मा ७ (कषाय छोड़ कर) लब्धि ५,वीर्य १ पण्डित वीर्य,दृष्टि १ समकित,भव्य १, दण्डक १ मनुष्य का पक्ष १ शुक्ल । १२ क्षीण मोहनीय गुण में-भाव चार (उपशम छोड़ कर ), आत्मा ७ ( कषाय छोड़ कर ), लब्धि ५, वीर्य १ पण्डित वीर्य, दृष्टि १ समकित, भव्य १, दण्डक १ मनुष्य का पक्ष १ शुक्ल । १३ सयोगी केवली गुण० में भाव ३ (उदय, क्षायक, परिणामिक), आत्मा ७ ( कषाय छोड़ कर ), लब्धि ५, वीर्य १ पण्डित वीय, दृष्टि १ सभक्ति दृष्टि भव्य १, दण्डक १ मनुष्य का, पक्ष १ शुक्ल । .. अयोगी केवली गुण में-भाव तीन ऊपर समान, आत्मा ६, ( कषाय व योग छोड़ कर ) लब्धि ५, वीय १ परित वीर्य, दृष्टि १ समकित, भव्य १, दण्डक १ मनुष्य का, पक्ष १ शुक्ल । ॥इति बावन बोल सम्प Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy