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________________ (३५२) थोकडा संग्रह। जीवों को विनय धर्म के अन्दर प्रवर्तीवे, अतः ये श्रोता श्रादरवा योग्य है। २ कुड़गः- कुंभ का दृष्टान्त । कुंभ के पाठ भेद हैं जिनमें प्रथम घड़ा सम्पूर्ण घड़ के गुणों द्वारा व्याप्त है। घड़े के तीन गुणः-१घड़े के अन्दर पानी भरने से किंचित् बाहर जावे नहीं २ स्वयं शीतल है अतः अन्य की भी तृषा शान्त करे-शीतल करे । ३ अन्य का मालिनता भी पानी से दूर करे। ऐसे ही एकेक श्रोता विनयादिक गुणों से सम्पूर्ण भरे हुवे हैं ( तीन गुण सहित ) १ गुवोदिक को उपदेश सर्व धार कर रक्खे-किंचित भूले नहीं २ स्वयं ज्ञान पाकर शीतल दशा को प्राप्त हुवे हैं व अन्य भव्य जीव को त्रिविध ताप उपसमा कर शीतल करते हैं ३ भव्य जीव की सन्देह रूपी मलिनता को दूर करे । ऐसे श्रोता आदरने योग्य हैं। २ एक धड़े के पार्श्व भाग में काना (छेद युक्त ) है इस में पानी भरे तो आधा पानी रहे व प्राधा पानी बाहर निकल जावे वैस ही एकेक श्रोता व्याख्यानादि सुने तो श्राधा धार रक्खे व आधा भूल जावे । ३ एक घड़ा नीचे से काना है इसमें पानी भरने से सर्व पानी बह कर निकल जावे किचित् भी उसमें रहे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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