SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 298
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २८६) थोकडा संग्रह। कोन २ सी पदवी वाले किस किस गति में जावे। १ पहेली दुसरी, तीसरी, चोथी इन चार नरक में ११ पदवी वाला जाव ७ पंचेन्द्रिय रत्न, ८ चक्रवर्ती 8 वासुदेव १० समकित दृष्टि ११ मांडलिक राजा एवं ११ २ पांचवी छठी नरक में नव पदवी का जावे गज और अश्व ये छोड़ कर शेष पांच पंचेन्द्रिय रत्न ६ चक्रवर्ती ७ वासु देव ८ सम्यक्त्वी मांडलिक राजा एवं नव पदवी। ३ सातवीं नरक में सात पदवी का जावे गज, अश्व और स्त्री छोड़ शेष चार ५ चक्रवर्ती ६ वासु देव ७ मांडलिक राजा एवं सात । ४ भवन पति, वाण व्यन्तर, ज्योतिषी और पहेले से आठवें देवलोक तक दश पदवी का जाव-सात पंचेन्द्रिय रत्न में से स्त्री रत्न छोड़ शेष ६ रत्न ७ साधु ८ श्रावक ६ सम्यक्त्वी १० मांडलिक राजा एवं दश ।। ५ नववे से बारहवें देव लोक तक आठ पदवी का जावे स्त्री, गज, अश्व छोड़ शेष चार पंचेन्द्रिय रत्न ५ साधु ६ श्रावक ७ सम्यक्त्वी ८ मांडलिक राजा एवं आठ ६ नव ग्रीयवेक में सात पदवी का जावे ऊपर की पाठ पदवी में से श्रावक को छोड़ शेष सात पदवी।। ७ पांच अनुत्तर विमान में दो पदवी का जावे साधु और सम्यक्त्वी । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy