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तेंतीश पदवी।
( २८५)
पावे-१ गज २ अश्व ३ समकिती ( सम कित पावे तो तिथंच में, मनुष्य नहीं हो सक्ते)
८ भवन पति, वाण व्यन्तर, ज्योतिषी से निकले हुवे जीव २१ पदवी पावे-तीर्थकर, वासुदेव ये दो नहीं पावे
पहेला दूसरा देव लोक से निकले हुवे जीव २३ पदवी पावे।
१० तीसरे से आठवें देवलोक तक से निकले हुवे जीव १६ पदवी पावे । सात एकेन्द्रिय रत्न नहीं।
११ नववे देवलोक से नववीं ग्रीयवेक तक से निकले हुवे जीव चौदह पदवी पावें। सात एकेन्द्रिय रत्न,गज और अश्व ये नव नहीं।
१२ पांच अनुत्तर विमान से निकले हुवे जीव पाठ पदवी पावें । सात एकेन्द्रिय रत्न, सात पंचेन्द्रिय रत्न और एक वासुदेव ये पन्द्रह नहीं पाये।
१३ पृथ्वी, अप, वनस्पति, मनुष्य, तिर्यच-पंचेन्द्रिय से निकले हुवे जीव १६ पदवी पावे । तीर्थकर, चक्रवर्ती वासुदेव, बलदेव ये चार नहीं पाये।
१४ तेजस् वायु से निकले हुवे जीव नव पदवी पावे। सात एकेन्द्रिय रत्न, गज और अश्व ये नव पावे ।
१५ तीन विकलन्द्रिय से निकले हुवे जीव १८ पदवी पावे । तीर्थकर, चक्रवर्ती, वासुदेव, बलदेव, केवली ये पांच नहीं पावे।
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