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________________ ( २३४ ) थोकडा संग्रह। यप्ति (१०) चौरिन्द्रिय पर्याप्त (११) असंज्ञी पंचेन्द्रिय अपर्याप्त (१२) असंज्ञी पंचन्द्रिय पयोप्त (१३) संज्ञी पंचेन्द्रिय अपर्याप्त (१४) संज्ञी पंचेन्द्रिय पर्याप्त । पन्द्रह प्रकार के परमाधामी देव-(१) आम्र २ श्राम रस ३ शाम ४ सबल ५ रुद्र ६ वैरुद्र ७ काल ८ महा काल । ६ असिपत्र १० धनुष्य ११ कुंभ १२ वालु (क) १३ वैतरणी १४ खरस्वर १५ महा घोष। ... सोलवें सूत्र कृत का प्रथम श्रुतस्कन्ध के सोलह अध्ययन:-१ स्वसमय परसमय २ पैदारिक ३ उपसग प्रज्ञा ४ स्त्री प्रज्ञा ५ नरक विभक्ति ६ वीर स्तुति ७ कुशील परिभाषा ८ वीर्या ध्ययनह धर्म ध्यान १० समाधि ११ मोक्ष मार्ग १२ समव सरण १३ अथातथ्य १४ ग्रंथी १५ यमतिथि १६ गाथा । सत्तरह प्रकार का संयमः-१ पृथ्वी काय संयम २ अपकाय संयम ३ तेजम काय संयम ४ वायु काय संयम ५ वनस्पति काय संयम ६३ इन्द्रिय काय संयम ७ त्रि इन्द्रिय काय संयम ८ चौरिन्द्रिय काय संयम ६ पंचेन्द्रिय काय संयम १० अजीव काय संयम ११ प्रेक्षा संयम १२ उत्प्रेक्षा संयम १३ अपहत्य संयम १४ प्रमार्जना संयम १५ मन संयम १६ वचन संयम १७ काय संयम । अट्ठारह प्रकार का ब्रह्मचर्य-औदारिक शरीर संबन्धी भोग १ मन से, २ वचन से, ३ काया से सेवे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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