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तेतीस बोल ।
(२३५) नहीं, ३, सेवावे नहीं, ६. सेवता प्रति अनुमोदन करे नहीं, ६ इसी प्रकार वैक्रिय शरीर संबन्धी 8 प्रकार का छोड़ना।
उन्नीश प्रकार का ज्ञाता सूत्र के अध्ययनः१ उत्क्षिप्त--मेघ कुमार का २ धन्य सार्थवाह और विजय चोर का ३ मयूर ईडा का ४ कर्म ( काचवा ) का ५शैलक राजर्षि का ६ तुम्ब का ७ धन्य सार्थ वाह और चार बहुओं का ८ मल्ली भगवती का ६ जिनपाल जिन रक्षित का १० चंद्र की कला का ११ दावानल का १२ जित शत्रू राजा और सुबुद्धि प्रधान का १३ नंद मणिकारका १४ तेतलि पुत्र प्रधान और पोटीला-सोनार पुत्री का १५ नंदिफल का १६ अवरकंका का १७ समुद्र अश्व का १८ सुसीमा दारिका का १६ पुंडरीक कंडरीक का । ... बीश प्रकार के असमाधिक स्थान:-१ उतावला उतावला चाले २ पूंज्या विना चाले ३ दुष्ट रीति से
ने ४ पाट, पाटला, शय्या आदि अधिक रक्खे ५ रत्नाधिक के ( बड़ों के ) सामने बोले ६ स्थविर, वृद्ध गुरु श्राचार्यजी का उपघात [ नाश ] करे ७ एकेन्द्रियादि जीव को शाता, रस, विमूषा निमित्त मारे ८ क्षण क्षण प्रति क्रोध करे ६ क्रोध में हमेशां प्रदीप्त रहे १० पृष्ट मांस खावे अर्थात् दूसरों की पीछे से निन्दा बोले ११ निश्चय वाली भाषा बोले १२ नया क्लेश [ झगड़ा] उत्पन्न करे १३ जो झगड़ा बन्द हो गया हो उसे पुनः जागृत
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