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( १८२ )
थोकडा-संग्रह।
वेद के छोड़ शेष छः और संज्वलन का लोभ एवं सात का उदय, ११ के क्षयोपशम में २३ संपराय क्रिया नहीं लगे। सात के उदय में एक मायावत्तिया क्रिया लगे। - दशवे जीव स्थानक में मोहनीय कर्म की २७ प्रकृति में से २७ का उपशम अथवा क्षायिक, १ कुछ संज्वलन का लोभ का उदय २७ के उपशम तथा क्षायिक में २३ संपराय क्रिया नहीं लगे और एक संज्वलनं का लोभ के उदय में एक माया वत्तिया क्रिया लगे ।
११ वें जीवस्थानक में मोहनीय कर्म की २८ प्रकृति में से सर्व प्रकृति उपशमाई है इस से २४ संपराय क्रिया नहीं लगे परन्तु सात कर्म का उदय है इस से एक इयोपथिका (इरिया वहिया ) क्रिया लगे।
१२ वें जीवस्थानक में मोहनीय कर्म की २८ प्रकृति उपशमाई है इस से २४ संपराय क्रिया नहीं लगे परन्तु सात कर्म का उदय है इससे एक इपिथिका क्रिया लगे।
१३ वें जीवस्थानक में चार घातिया कर्म का क्षय होता है इससे २४ संपराय क्रियां नहीं लगे चार अपातिया कर्म का उदय है इससे एक इयोपथिका क्रिया लगे।
१४ वें जीवस्थानक में चार घातिया कर्म का क्षय होता है व चार अघातिया कर्म का उदय है जिसमें भी वेदनीय कर्म का बल था वह नहीं रहा इससे एक भी क्रिया नहीं लगे।
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