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( १६६ )
थोकडा संग्रह।
३ सुकुलोत्पन्न दास दासी होवे । ४ प्रधान ( मंत्री) लालची होवें। ५ यम जैसे क्रूर दंड, दाता राजा होवे।। ६ कुलीन स्त्री जा रहित (दुराचारिणी) होवे । ७ कुलीन स्त्री वेश्या समान कर्म करने वाली होवे । ८पिता की आज्ञा भंग करने वाला पुत्र होवे। ६ गुरु की निन्दा करने वाला शिष्य होवे । १० दुर्जन लोग सुखी होवे । ११ सज्जन लोग दुखी होवे । १२ दुर्भिक्ष अकाल बहुत होवे । १३ सर्प बिच्छु, दंश माकुणादि क्षुद्र जीवों की उत्प
ति बहुत होवे। १४ ब्राह्मण लोभी होवे। १५ हिंसा धर्म प्रवर्तक बहुत होवे । १६ एक मत के अनेक मतान्तर होवे । १७ मिथ्यात्वी देव बहुत हो । १८ मिथ्यात्वी लोग की वृद्धि होवे । १६ लोगों को देव दर्शन दुर्लभ होवे । २० वैताढ्य गिरि के विद्या धरों की विद्या का प्रभाव
मन्द होवे। २१ गो रस (दुग्ध, दही, घी) में स्निग्धता (चिक
नाई ) कम होवे।
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