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छः श्रारों का वर्णन ।
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चारित्र ७ पुलाक लब्धि ८६५क-उपशम श्रेणी आहारिक शरीर १० जिन कल्पी साधु ये दश बोल विच्छेद हुवे । ॥इति चौथा पारा सम्पूर्ण' ।।
* पांचवां पारा चौथे भारे के समाप्त होते ही २१००० वर्ष का 'दुखम' नामक पांचवां पारा प्रविष्ट होता है तब पूर्वीपेक्षा वर्ण, गंध, रस, स्पर्श की उत्तम पर्यायों में अनन्त गुण हीनता हो जाती है। क्रमसे घटते घटते सात हाथ का ( उत्कृष्ट ) शरीर व २०० वर्ष का प्रायुष्य रह जाता है । उतरते बारे एक हाथ का शरीर व वीश वर्ष का आयुष्य रह जाता है-इस आरे के संघयन छः, संस्थान छः, उतरते
आरे सेवा संघयन, हूंडक संस्थान व शरीर में केवल १६ पांसलिये व उतरते श्रारे केवल आठ पांसलिये जानना । मनुष्यों को इस बारे में दिन में दो समय आहार की इच्छा होती है तब शरीर प्रमाणे आहार करते हैं । पृथ्वी का स्वाद कुछ ठीक जानना व उतरते श्रारे कम्भकार ( कुम्हार ) की भट्टी की राख समान । इस बारे में गति चार ( मोक्ष गति छोड़ कर ) पांचवें आरे के लक्षण के ३२ बोल ।
१ नगर ( शहर ) गांव जैसे होवे । २ ग्राम स्मशान जैसे होवे।
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