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गता गति द्वार ।
( १५३ )
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६६ जाति का देव का पर्याप्ता,व उपरोक्त १७६ बोल और सात नरक का पर्याप्ता एवं (88+१७६४७) २८५ बोल। गति ५६३ बोल की।
सातवां आयुष्य द्वार :* इस भव के आयुष्य के कौ से भाग में परभव के आयुष्य का बंध पड़ता है उसका खुलासा:
दश औदारिक का दण्डक सोपकर्मा व नोपकर्मी जानना-नारकी का एक दण्डक और देव का १३ दण्डक ये १४ दण्डक नोपकर्मी जानना।
दश औदारिक के दण्डक में से जिसका असंख्यात वर्ष का आयुष्य है वो नोपकर्मी तथा जिसका संख्यात वर्ष का आयुष्य है वो सोपकर्मा और नोपकर्मी दोनों हैं।
नोपकर्मी निश्चय में आयुष्य के तीसरे भाग में पर भव का आयुष्य बांधते हैं।
सोपकर्मी है वो आयुष्य के तीसरे भाग में, उसके भी तीसरे भाग में तथा अन्त में अन्तर मुहते शेष रहे तब भी परभव का आयुष्य बांधते हैं। ___ असंख्यात वर्ष के मनुष्य, तिथंच तथा नेरिये व देव नोपकी है ये निश्चय में आयुष्य के ६ माह शेष रहे उस समय परभव का आयुष्य बांधते हैं।
परभव जाते समय जीव ६ बोल के साथ आयुष्य
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