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( १५२)
थोकडा संग्रह।
जाति के देव का पर्याप्ता, १०१ संज्ञी मनुष्य का पर्याप्ता, १०१ संमर्छिम मनुष्य का अपर्याप्ता १५ कम भूमि का अपर्याप्ता, सात नरक का पर्याप्ता, और तिर्यंच के ४८ भेद में से तेजम् वायु का आठ बोल छोड़ शेष४०एवं(88+१०१+१०१+१५+७+४०)३६३बोल । + गति २५८ की-६हजाति का देव, १५ कर्म भूमि, ५ संज्ञी तिर्यच,६ नरक-इन १२५ का अपर्याप्ता और पर्याप्ता एवं २५० तीन विकलेन्द्रिय का अपर्याप्ता और ५ असंज्ञी तिर्यच का अपर्याप्ता एवं २५८ ।
(६)मिथ्यात्व दृष्टि की आगति ३७१ बोल की:-88 जाति का देव, और ऊपर कहे हुवे १७६ बोल एवं २७८, सात नरक का पर्याप्ता और ८६ जाति का युगलियां का पर्याप्ता एवं ३७१ बोल । गति ५५३ की:-५६३ बोल में से पांच अनुत्तर विमान का अपर्याप्ता और पर्याप्ता ये १० छोड़ शेष ५५३ ।
(१०) स्त्री वेद की आगति ३७१ बोल की मिथ्या दृष्टि समान । गति ५६१ बोल की-सातवी नरक का अपयाँप्ता और पर्याप्ता ये दो बोल छोड़ (५६३.२)शेष ५६१
(११) पुरुष वेद की आगति ३७१ बोल की मिथ्या द्रष्टि की आगति समान । गति ५६३ की।
(१२) नपुंसक वेद की आगति २८५ बोल की:x कोई २ २२२ की भी मानते हैं-१५ परमा धामी और ३ किल्यिपी के पर्याप्ता और अपर्याप्ता एवं ३६ छोड़ कर ।
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