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थोकडा संग्रह ।
उक्त नाम कर्म की सोलह प्रकृति के समान ही सोलह प्रकारे भोगवे ।
गौत्र कर्म की स्थितिः - जघन्य आठ मुहूर्त की उत्कृष्ट वीश करोडा करोड़ सागरोपम की, अबाधा काल दो हजार वर्ष का ।
८ अन्तराय कर्म का विस्तार अन्तराय कर्म की पांच प्रकृतिः - १ दानांतराय २ लाभांतराय ३ भोगांतराय ४ उपभोगांतराय ५ वीर्यांतराय ।
अंतराय कर्म पांच प्रकारे बांधे-ऊपर समान । अंतराय कर्म पांच प्रकारे भोगवे - ऊपर समान । अंतराय कर्म की स्थिति - जघन्य अन्तर मुहूर्त की, उत्कृष्ट तीश करोड़ा करोड़ सागरोपम की, अबाधा काल तीन हजार वर्ष का ।
॥ इति आठ कर्म का विस्तार सम्पूर्ण ॥
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