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थोकडा संग्रह।
२० स्थिति द्वार: सिद्ध की प्रादि है परन्तु अन्त नहीं।
२१ मरण द्वार:--सिद्ध में मरण नहीं। २२ चवन" :- सिद्ध चवते नहीं। २३ प्रागति":-सिद्ध में एक गति-मनुष्य का आवे। २४ गति ":--" " गति नहीं।
ऐसे श्री सिद्ध भगवन्त को मेरा तीनों काल पर्यन्त नमस्कार होवे। ॥ इति श्री सिद्ध भगवन्त का विस्तार सम्पूर्ण ॥
-:॥ इति चोवीश दण्डक सम्पूर्णः
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