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चोवीस दण्डक ।
२ अवगाहना द्वार
इनकी श्रवगाहना जघन्य अंगुल के असंख्यातवें
भाग व उत्कृष्ट अंगुल के असंख्यातवें भाग |
३ संघयन द्वार- इनमें संघयन एक-सेवार्त्त ४ संस्थान ". संस्थान एक हुएडक
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अज्ञान ।
५ कषाय
६ संज्ञा
७ लेश्या
= इन्द्रिय
है समुद्घात द्वार:- इन में समु० तीन वेदनीय, कषाय, मारणांतिक |
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97.
11
ABUNDANT'S
" संज्ञा चार
" -- " लेश्या तीन कृष्ण. नील, कापोत
कपाय चार
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( ११७ )
- इन्द्रियं पांच
१० संजी
११ वेद द्वार:-इन में वेद एक-नपुंसक
१२ पर्याप्त द्वार : -,, पर्याप्ति चार, अपर्याप्त पांच १३ दृष्टि,,,, दृष्टि एक १ मिथ्यात्व दृष्टि १४ दर्शन,,,, दर्शन दो चक्षु और प्रचक्षु दर्शन १५ ज्ञान, -, ज्ञान नहीं, अज्ञान दो मति और श्रुत
,,, ये असंज्ञो हैं !
"
१६ योग,,,, योग तीन १ औदारिक शरीर काय योग २ श्रदारिक मिश्र शरीर काय योग ३ कार्मण शरीर काय योग ।
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