________________
( ११४)
थोकड। संग्रह।
मनुष्य गर्भेज पंचेन्द्रिय का एक दंडक
१ शरीर:-मनुष्य गर्भेज में शरीर पांच ।।
२ अवगाहना द्वार:-अवसर्पिणी काल में मनुष्य गर्नेज की अवगाहना पहिला पारा लगते तीन गाउ की, उतरते और दो गाउ की, दूसरा पारा लगते दो गाउ की, उतरते एक गाउ की। तीसरे आरे लगते १ गाउकी उतरते आरे ५०० धनुष्य की चौथे आरे , ५०० धनुष्यकी,, ,, सात हाथ की पांचवें , , ७ हाथ की, , एक हाथ की छटे " " १ , , , , मूढा हाथ की
उत्सर्पिणी काल में पहिले आरे लगते मुढा हाथ की उतरते आरे १ हाथ की दूसरे , , १ " " " " ७ हाथ की तीसरे ,, , ७ , , , , ५०० हाथ की चोथे ,, , ५०० धनुष्य की ,, , १ गाउ की पांचवे ,, , १ गाउ की, , २ " " छठे ,, , २ , , , , ३ " "
मनुष्य वैकिय करे तो जघन्य अंगुल के संख्यातवें भाग उत्कृष्ट लक्ष जोजन जाजेरी ( अधिक )
३ संघयन द्वार--संघयन छः ही पावे ४ संस्थान द्वार--संस्थान , , , ५ कषाय द्वार:-कषाय चार "
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org