________________
चोवीस दण्डक ।
( १९३)
(१६) उत्पत्तिद्वार:- ( २२ ) चवन द्वार:-चोवीस
दंडक में उपजे, चोवीस दंडक में
जावे। (२०) स्थिति द्वार:-जलचर की: जघन्य अन
उत्कृष्ट करोड़ पूर्व
वर्ष की। स्थलचर की:-जघन्य अन्तर्मुहूर्त
उत्कृष्ट तीन पन्य की। उरपरि सर्प की:-जघन्य अन्तर्मुहूर्त
उत्कृष्ट करोड़ पूर्व
वर्ष की। भुजपरि सर्प की: जघन्य अन्तर्मुहूर्त
उत्कृष्ट करोड़ पूर्व
वर्ष की। खेचर की:- जघन्य अन्त मुहूर्त उत्कृष्ट
पल्य के असंख्यातवें
भाग की। (२१) मरण द्वार:-समोहिया मरण असमोहिया मरण । (२३) भागति द्वार (२४) गति द्वार:-तिर्यच गर्भेज
.. पंचेद्रिय में चार गति के जीव आवे
और चार गति में जावे । ॥ तिर्यंच पंचेन्द्रिय का दंडक सम्पूर्ण ॥
mai recent
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org