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'चोवीस दण्डक।
(१०६)
ज्योतिषी वैमानिक इन दो दण्डक को छोड़ कर शेष २२ दएडक में जावे।
२० स्थिति द्वार बे इन्द्रिय की स्थिति जघन्य अन्तर मुहूर्त की उत्कृष्ट बारह वर्ष की । त्रीइन्द्रिय की स्थिति जघन्य अन्तर मुहूर्त की उत्कृष्ट ४६ दिन की । चौरिन्द्रिय की ज० अन्तर मुहूर्त की उत्कृष्ट छः मास की। तिर्यंच संमूर्छिम पंचेन्द्रिय की नीचे अनुसारगाथा-पुव्व क्कोड़ चउराशी, तेरन, बायालीस, बहुत्तेर ।
__ सहसाई वासाई समुछिमे आउयं होइ ॥ ___ जलचर की स्थिति जघन्य अन्तर मुहूर्त की उत्कृष्ट क्रोड़ पूर्व वर्ष की । स्थलचर की जघन्य अन्तर मुहूर्त की उ० चोराशी हजार वर्ष की । उरपर (सर्प) की जघन्य अन्तर मुहूर्त की उत्कृष्ट ५३ हजार वर्ष की, भुज पर (सपे) की जघन्य अन्तर मुहुत की उत्कृष्ट ४२ हजार वर्ष की, खेचर की जघन्य अन्तर मुहूर्त की उत्कृष्ट ७२ हजार वर्ष की।
२१ मरण द्वार समोहिया परण:-चीटी की चाल के समान जिस
की गति हो। असमोहिया मरण:-बन्दुक की गोली के समान
जिसकी गति हो।
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