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थोकडा संग्रह ।
एकेन्द्रिय तीन विकलेन्द्रिय, मनुष्य व तिर्यच एव दश दण्डक।
तेजस् काय, वायु काय में दश दण्डक का आवेपांच एकेन्द्रिय, तीन विकलेन्द्रिय, मनुष्य, तिथंच-एवं दश और नव दण्ड क में जावे,मनुष्य छोड़ कर शेष ऊपर समान।
२० स्थिति द्वार:पृथ्वी काय की स्थिति जघन्य अन्तर मुहूर्त की उत्कृष्ट बावीस हजार वर्ष की ।
अप् काय की जवन्य अन्तर : हूत की उत्कृष्ट सात हजार वर्ष की । तेजम् काय की ज. अन्तर मुहूर्त की उ. तीन अहोरात्रि की । वायु काय की ज. अन्तर मुहूर्त की उ. तीन हजार वर्ष की । वनस्पति काय की ज. अन्तर सुहूर्त की उ. दश हजार वर्ष की ।
२१ मरण द्वार:इनमें समाहिया मरण और असमोहिया मरण दोनों होते हैं। - २३ प्रागति द्वार २४ गति द्वार:- पृथ्वी काय,अप काय,वनस्पति काय,इन तीन एकेन्द्रिय में तीन-१ मनुष्य २ तिर्थच ३ देव-गति का आवे और १ मनुष्य २ तीर्थच-दो गति में जावे। तेजस और वायु काय में १ मनुष्य २ तिर्थच दो गति का आवे और तिथंच एक गति में जावे। ॥ इति पांच एकेन्द्रिय का पांच दण्डक सम्पूर्ण ॥
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