________________
चोवीस दण्डक ।
(१०३)
१५ ज्ञान द्वार:पांच एकेन्द्रिय में दो अज्ञान १ मति अज्ञान २ श्रुत अज्ञान ।
१६ योग द्वार:वायु काय को छोड़ कर शेष चार एकेन्द्रिय में योग तीन१ औदारिक शरीर काय योग २ औदारिक मिश्र शरीर काय योग ३ कार्मण शरीर काय योग। वायु काय में योग पांच १ औदारिक शरीर काय योग २ औदारिक मिश्र शरीर काय योग ३ वैक्रिय शरीर काय योग ४ वैक्रिय मिश्र शरीर काय योग ५ कामेण शरीर काय योग।
१७ उपयोग द्वार:पांच एकेन्द्रिय में उपयोग तीन १ मति अज्ञान २ श्रुत अज्ञान ३ अचक्षु दर्शन ।
१८ श्राहार द्वार:___पांच एकेन्द्रिय तीन दिशाओं का, चार दिशाओं का, पांच दिशाओं का आहार लेवे व्याघात न पड़े तो छः दिशाओं का आहार लेवे आहार दो प्रकार का १ ओजस २ गेम ये १ सचित २ अचित ३ मिश्र तीनों तरह का लेते हैं।
१६ उत्पति द्वार २२ चवन द्वार:पृथ्वी, अपू, वनस्पति काय में नरक छोड़ कर शेष २३ दण्डक का आवे और दश दण्डक में जाते-पांच
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org