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________________ (६६) थोकडा संग्रह। ग्रीयवेक तक तीन ज्ञान व तीन अज्ञान । पांच अनुत्तर विमान में केवल तीन ज्ञान, अज्ञान नहीं । १६ योग द्वार:नरक में तथा देवलोक में इग्यारह इग्यारह योग१ सत्य मनयोग २ असत्य मनयोग ३ मिश्र मन योग ४व्यवहार मन्योग ५सत्य वचन योग ६असत्य वचन योग ७मिश्र वचन योग ८ व्यवहार वचन योग 8 वैक्रिय शरीर काय योग१०वैक्रिय मित्र शरीर काय योग११कार्मण शरीर काय योग । .. १७ उपयोग द्वार:नरक, व भवन पति से नव ग्रीयवेक तक उपयोग नव-१ मति ज्ञान उपयोग २ श्रुत ज्ञान उपयोग ३ अवधि ज्ञान उपयोग ४ मति अज्ञान उपयोग ५ श्रुत अज्ञान उपयोग ६ विभंग ज्ञान उपयोग ७ चक्षु दर्शन उपयोग ८ अचक्षु दर्शन उपयोग ६ अवधि दर्शन उपयोग।। पांच अनुत्तर विमान में ६ उपयोग तीन ज्ञान और तीन दर्शन । १८ पाहार द्वार:. नरक व देवलोक में दो प्रकार का आहार १ ओजस २ रोम छः ही दिशाओं का आहार लेते हैं । परन्तु लेते है एक प्रकार का नेरिये अचित्त आहार करते हैं किन्तु अशुभ और देवता भी अचित्त आहार करते है किन्तु शुभ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002997
Book TitleJainagama Thoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1935
Total Pages756
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size23 MB
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