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उत्तराध्ययनसूत्र : एक समीक्षात्मक अध्ययन *७३ * --.-.-.-.-.-.-.-.-. प्रवचन-माताएँ जगदम्बा के रूप में हैं। इसलिये भी इन्हें प्रवचन-माता कहा है।३८ प्रसव और समाना इन दोनों अर्थों में माता शब्द का व्यवहार हुआ है। भगवान जगत्-पितामह के रूप में है।३९ आत्मा के अनन्त आध्यात्मिक सद्गुणों को विकसित करने वाली ये प्रवचन-माताएँ हैं।
प्रतिक्रमणसूत्र के वृत्तिकार आचार्य नमि२४० ने समिति की व्युत्पत्ति करते हुए लिखा है कि प्राणातिपात प्रभृति पापों से निवृत्त रहने के लिये प्रशस्त एकाग्रतापूर्वक की जाने वाली आगमोक्त सम्यक् प्रवृत्ति समिति है। साधक का अशुभ योगों से सर्वथा निवृत्त होना गुप्ति है। आचार्य उमास्वाति जी२४१ ने भी लिखा है-मन, वचन और काय के योगों का जो प्रशस्त निग्रह है, वह गुप्ति है। ___ आचार्य शिवार्य ने लिखा है कि जिस योद्धा ने सुदृढ़ कवच धारण कर रखा हो, उस पर तीक्ष्ण बाणों की वर्षा हो तो भी वे तीक्ष्ण बाण उसे बींध नहीं सकते। वैसे ही समितियों का सम्यक् प्रकार से पालन करने वाला श्रमण-जीवन के विविध कार्यों में प्रवृत्त होता हुआ पापों से निर्लिप्त रहता है।४२ जो श्रमण आगम के रहस्य को नहीं जानता किन्तु प्रवचन-माता को सम्यक् प्रकार से जानता है, वह स्वयं का भी कल्याण करता है और दूसरों का भी। श्रमणों के आचार का प्रथम और अनिवार्य अंग प्रवचन-माता है, जिसके माध्यम से श्रामण्यधर्म का विशुद्ध रूप से पालन किया जा सकता है।
प्रस्तुत अध्ययन में समितियों और गुप्तियों का सम्यक् निरूपण हुआ है। ब्राह्मण ___ पच्चीसवें अध्ययन में यज्ञ का निरूपण है। यज्ञ वैदिक संस्कृति का केन्द्र है। पापों का नाश, शत्रुओं का संहार, विपत्तियों का निवारण, राक्षसों का विध्वंस, व्याधियों का परिहार, इन सबकी सफलता के लिये यज्ञ आवश्यक माना गया है। क्या दीर्घायु, क्या समृद्धि, क्या अमरत्व का साधन सभी यज्ञ से उपलब्ध होते हैं। ऋग्वेद में ऋषि ने कहा-यज्ञ इस उत्पन्न होने वाले संसार की नाभि है। उत्पत्ति-प्रधान है। देव तथा ऋषि यज्ञ से समुत्पन्न हुए। यज्ञ से ही ग्राम और अरण्य के पशुओं की सृष्टि हुई। अश्व, गाएँ, भेड़ें, अज, वेद आदि का निर्माण भी यज्ञ के कारण ही हुआ। यज्ञ ही देवों का प्रथम धर्म था।२४३ इस प्रकार ब्राह्मण परम्परा यज्ञ के चारों ओर चक्कर लगा रही है। भगवान महावीर के समय सभी विज्ञ ब्राह्मणगण यज्ञ-कार्य में जुटे हुए थे। श्रमण भगवान महावीर ने और उनके संघ के अन्य श्रमणों ने 'वास्तविक यज्ञ क्या है तथा सच्चा ब्राह्मण
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