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नन्दीसूत्र : एक समीक्षात्मक अध्ययन * ३१३ * वाचकवंश परम्परा की स्थविरावली
आर्य स्थूलभद्र के दो शिष्यों-आर्य महागिरि और आर्य सुहस्ती, में आर्य महागिरि बड़े थे। आर्य महागिरि की शाखा प्रमुख शाखा मानी गई है।१२२ वह वाचकवंश परम्परा के नाम से प्रसिद्ध है। नन्दीसूत्र में भगवान महावीर के बाद की वाचकवंश परम्परा की स्थविरावली इस प्रकार है१. सुधर्मा
२. जम्बू ३. प्रभव
४. शय्यम्भव ५. यशोभद्र
६. सम्भूतविजय ७. भद्रबाहु
८. स्थूलभद्र ९. महागिरि
१०. सुहस्ती ११. बलिस्सह
१२. स्वाति १३. श्यामार्य
१४. शाण्डिल्य १५. समुद्र
१६. मंगु १७. धर्म
१८. भद्रगुप्त १९. वज्र
२०. रक्षित २१. नन्दिल (आनन्दिल) २२. नागहस्ती २३. रेवती नक्षत्र
२४. ब्रह्मदीपकसिंह २५. स्कन्दिल
२६. हिमवन्त २७. नागार्जुन
२८. श्रीगोविन्द २९. भूतदिन
३०. लौहित्य ३१. दूष्यगणी
३२. देवगिणी नन्दी वृत्तिकार एवं चूर्णिकार ने स्थविरावली की गाथा संख्या ३१, ३२ और ४१ को प्रक्षिप्त माना है। उनके अनुसार आर्य धर्म, भद्रगुप्त (चन्द्रगुप्त), वज्र, रक्षित और आर्य गोविन्द, इन पाँच आचार्यों के नाम जोड़ने पर ही आर्य देवर्द्धि तक इस परम्परा के आचार्यों की संख्या ३२ होती है। नन्दी स्थविरावली की मूल गाथाओं के अनुसार आर्य देवर्द्धिगणी २७वें आचार्य हैं।
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