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नन्दीसत्र : एक समीक्षात्मक अध्ययन * २७७*
इसके दो भेद हैं-आगमतः और नोआगमतः। उपर्युक्त परिभाषा आगमतः द्रव्यनन्दी की है। आगमतः द्रव्यनन्दी के तीन प्रकार हैं-ज्ञशरीर, भव्यशरीर
और उभय-व्यतिरिक्त द्रव्यनन्दी। ज्ञशरीर द्रव्यनन्दी उसे कहते हैं, जो व्यक्ति जीवितकाल में नन्दीसूत्र का पारगामी था, परन्तु अब केवल उसका शव पड़ा है या उसका स्मरण होता है या किया जाता है। लोग परस्पर चर्चा करते हैं कि यह व्यक्ति साध्वी या साधु नन्दीसूत्र में पारंगत था। भव्यशरीर द्रव्यनन्दी उसे कहते हैं-एक बालक या नवजात शिशु है, जिसे भविष्य में नन्दीसूत्र में अवश्य ही पारंगत बनना है, किन्तु वर्तमान में वह नन्दी का क ख ग भी नहीं जानता। इस कारण उसे भव्यशरीर द्रव्यनन्दी कहते हैं। उभय-व्यतिरिक्त द्रव्यनन्दी उसे कहते हैं, जहाँ १२ प्रकार के साजबाज सहित कुछ गायक-वादक एक ताल, एक लय से वाद्य बजा रहे हों, उस समय उपस्थित लोग मस्ती में झूमने लग जाते हैं, इस आनन्द को उभय-व्यतिरिक्त द्रव्यनन्दी कहते हैं।४२ भावनन्दी निक्षेप का स्वरूप और उसकी उपादेयता
इसी प्रकार भावनन्दी के भी दो भेद हैं-आगमतः भावनन्दी और नोआगमतः भावनन्दी। कोई मुनिवर जब एकाग्रचित्त होकर उपयोग सहित नन्दीसूत्र का अध्ययन करता है, साथ ही उसके प्रति श्रद्धा, भक्ति, बहुमानपूर्वक अनुप्रेक्षा भी करता जाता है, तब उसे 'आगमतः भावनन्दी' कहते हैं, क्योंकि उपयोग ही भाव का लक्षण है। जो व्यक्ति जिस समय जिसमें उपयोगयुक्त होता है, उस समय में वह उसी में तल्लीन, तन्मय और तदाकार हो जाता है, वह उस समय उस ध्येय से अभिन्न हो जाता है। इसीलिए नन्दीसूत्र रूप आगम में उपयोगपूर्वक तदाकार एवं तन्मय हो जाने वाले व्यक्ति को 'आगमतः भावनन्दी' कहा जाता है। जब कोई अध्येता नन्दीसूत्र में वर्णित पाँच प्रकार के ज्ञान में से मतिज्ञान या अन्य किसी ज्ञान के अवान्तर भेदों में से किसी एक पद या पंक्ति का मनोयोग एवं उपयोग के साथ अध्ययन करता है, तब उसे नोआगमतः भावनन्दी कहते हैं। नो शब्द यहाँ देश अर्थात् आंशिक का वाचक है। जैसेमनुष्य की एक अँगुली को मनुष्य नहीं कहा जाता, मकान में लगी हुई एक ईंट को मकान नहीं कहा जाता, वैसे ही नन्दीसूत्र की किसी पद या पंक्ति को पूर्णनन्दी नहीं कहा जाता। अतः जब कोई नन्दीसूत्र के किसी एक पद या पंक्ति को उपयोग सहित पढ़ता है, तब तक उसे नोआगमतः भावनन्दी ही कहा जाता है। निष्कर्ष यह है कि जब तक नन्दीसूत्र वर्णित पाँच ज्ञान का वर्णनात्मक
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