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नन्दी सूत्र : एक समीक्षात्मक अध्ययन २७५
श्रुतज्ञान के रूप में 'ग्रहण किये जाने वाले 'श्रुत' के साथ आप्त-वचन या उपदेश चाहे अनन्तर से हो या परम्परा से हो, जोड़ा गया । अतएव सम्यक् श्रुत का लक्षण यही होगा- सम्यक् उद्देश्य और यथार्थ वाच्य का प्रकाशक श्रुत ही सम्यक् श्रुत है । सम्यक् श्रुत का स्वरूप तीन लक्षणों से स्पष्ट किया गया - ( १ ) जो आप्तोपदिष्ट हो, (२) जो तत्त्वों का यथार्थ प्रतिपादक हो, और (३) जिससे मोह के उपशम सहित ज्ञानावरणीय कर्म को क्षयोपशम हो जिससे तत्त्वबोध सम्यक् हो, मिथ्या नहीं । ३९
'सूक्त' शब्द का विश्लेषण
आगमों को सूक्त भी कहा गया है। सूक्त का अर्थ है - सुभाषित | ऐसे सुभाषित जो अरिहंतों द्वारा प्रतिपादित अर्थ का आधार लेकर गणधरों और श्रुतकेवलियों द्वारा अपने मधुर, सरस वर्णात्मक सुन्दर शब्दों में गूँथा गया है। इस प्रकार आगमों को 'सूक्त' भी कहा जा सकता है। सुप्त शब्द भी सूत्र का पर्यायवाची है
सुप्त शब्द भी आगम का पर्यायवाची है । सुप्त का अर्थ है - सोया हुआ । जिस प्रकार सोये हुए व्यक्ति के आसपास कोई वार्त्तालाप भी करता हो तो उसे उसका ज्ञान नहीं होता, इसी प्रकार जिस आप्त-वचनरूप आगम का अर्थ ज्ञात न हो सके, शास्त्र में सोया रहता हो, किन्तु व्याख्या, चूर्णि, टीका, नियुक्ति और भाष्य के बिना जिसका अर्थ-बोध भलीभाँति नहीं होता, इसलिए अतीन्द्रिय ज्ञान, अव्यक्त ज्ञान अथवा ऐसे शास्त्रीय ज्ञान का अर्थ- बोध सुषुप्त होने से उसे सुप्त कहा जाता है।
इसका दूसरा पहलू यह है कि सूत्र ही एक ऐसा मार्ग है, जो अपने में महान् अर्थ को समेटे हुए है। वह अर्थ सूत्ररूप में सोया हुआ रहता है। दूसरे शब्दों में कहें तो एक सूत्रात्मक वाक्य में हजारों अर्थ समाविष्ट होते हैं। ज्ञानी पुरुष इसका विश्लेषण कर सकते हैं। जैसे एक बहुमूल्य रत्न में हजारों-लाखों रूप में, सैकड़ों स्वर्ण मुद्राएँ, लाखों पैसे समाविष्ट होते हैं, वैसे ही तीर्थंकर प्रभु तथा श्रुतवली के प्रवचन रूप आगमिक शब्द स्वल्प मात्रा में होते हुए भी वे अर्थ में महान् तथा गम्भीर होते हैं।
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सूत्र शब्द के अन्य पर्यायवाचक शब्द
अनुयोगद्वारसूत्र में 'आगम' के पूर्वोक्त पर्यायवाचकों के अतिरिक्त और भी हैं। वहाँ कहा गया है- “सुय - सुत्त - गंथ - सिद्धंत पवयणे आणवयण उवएसे
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