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दशवैकालिकसूत्र : एक समीक्षात्मक अध्ययन * १९३ * १९०५ में दशवैकालिक दीपिका का प्रकाशन हीरालाल हंसराज (जामनगर) ने किया। सन् १९१५ में समयसुन्दर विहित वृत्ति सहित दशवैकालिक का प्रकाशन हीरालाल हंसराज (जामनगर) ने करवाया। सन् १९११ में समयसुन्दर विहित वृत्ति सहित दशवैकालिक का प्रकाशन जिनयशःसूरि ग्रन्थमाला (खम्भात) से हुआ। सन् १९१८ में भद्रबाहुकृत नियुक्ति तथा हारिभद्रीया वृत्ति के साथ दशवैकालिक का प्रकाशन देवचन्द्र लालभाई जैन पुस्तकोद्धार (बम्बई) ने किया। नियुक्ति तथा हारिभद्रीया वृत्ति के साथ विक्रम संवत् १९९९ में मनसुखलाल हीरालाल (बम्बई) ने दशवैकालिक का एक संस्करण प्रकाशित किया। दशवैकालिक का भद्रबाहुनियुक्ति सहित प्रकाशन
आंग्ल भाषा में E. Leumann द्वारा ZDMG से प्रकाशित करवाया गया (Vol. 46, page 581-663)। सन् १९३३ में जिनदासकृत चूर्णि का प्रकाशन ऋषभदेव जी केसरीमल जी जैन श्वेताम्बर संस्था (रतलाम) से हुआ। सन् १९४० में संस्कृत टीका के साथ संपादक आचार्य श्री हस्तीमल जी म. ने जो दशवैकालिक का संस्करण तैयार किया वह मोतीलाल बालचन्द मूथा (सतारा) के द्वारा प्रकाशित हुआ। सन् १९५४ में सुमति साधु विरचित वृत्ति सहित दशवैकालिक का प्रकाशन देवचन्द लालभाई जैन पुस्तकोद्धार (सूरत) से हुआ। नियुक्ति, अगस्त्यसिंहचूर्णि का सर्वप्रथम प्रकाशन सन् १९७३ में पुण्यविजय जी म. द्वारा संपादित होकर प्राकृत ग्रन्थ परिषद् (वाराणसी) द्वारा किया गया।
विक्रम संवत् १९८१ में आचार्य आत्माराम जी म. कृत हिन्दी टीका सहित दशवैकालिक का संस्करण ज्वालाप्रसाद माणकचन्द जौहरी महेन्द्रगढ़ (पटियाला) ने प्रकाशित किया। उसी का द्वितीय संस्करण विक्रम संवत् २००३ में जैनशास्त्रमाला कार्यालय (लाहौर) से हुआ। सन् १९५७ और १९६० में आचार्य घासीलाल जी म. विरचित संस्कृत-व्याख्या और उसका हिन्दी और गुजराती अनुवाद जैनशास्त्रोद्धार समिति (राजकोट) से हुआ। वीर संवत् २४४६ में आचार्य अमोलक ऋषि जी ने हिन्दी अनुवाद सहित दशवैकालिक का एक संस्करण प्रकाशित किया। विक्रम संवत् २००० में मुनि अमरचंद्र पंजाबी संपादित दशवैकालिक का संस्करण विलायतीराम अग्रवाल (माच्छीवाड़ा) द्वारा प्रकाशित हुआ और विक्रम संवत् २००२ में घेवरचंद जी बांठिया द्वारा सम्पादित संस्करण सेठिया जैन पारमार्थिक संस्था (बीकानेर) द्वारा और बांठिया द्वारा ही संपादित दशवैकालिक का एक संस्करण विक्रम
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