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दशवैकालिकसूत्र : एक समीक्षात्मक अध्ययन * १४५ *
पाँच महाव्रतों के साथ छठा व्रत रात्रि-भोजन-परित्याग है। श्रमण सम्पूर्ण रूप से रात्रि-भोजन का परित्याग करता है। अहिंसा महाव्रत के लिए व संयम-साधना के लिए रात्रि-भोजन का निषेध किया गया है। सूर्य अस्त हो जाने के पश्चात् श्रमण आहार आदि करने की इच्छा मन में भी न करे। रात्रि-भोजन-परित्याग को नित्य तप कहा है। रात्रि में आहार करने से अनेक सूक्ष्म जीवों की हिंसा की सम्भावना होती है। रात्रि-भोजन करने वाला उन सूक्ष्म और त्रस जीवों की हिंसा से अपने आपको बचा नहीं सकता। इसलिए निर्ग्रन्थ श्रमणों के लिए रात्रि-भोजन का निषेध किया गया है। महाव्रत और यम
ये श्रमण के मूल व्रत हैं। अष्टांगयोग में महाव्रतों को यम कहा गया है। आचार्य पतंजलि के अनुसार महाव्रत जाति, देश, काल आदि की सीमाओं से मुक्त एक सार्वभौम साधना है।०७ महाव्रतों का पालन सभी के द्वारा निरपेक्ष रूप से किया जा सकता है। वैदिक परम्परा की दृष्टि से संन्यासी को महाव्रत का सम्यक् प्रकार से पालन करना चाहिए, उसके लिए हिंसा-कार्य निषिद्ध है।०८ असत्य भाषण और कटु भाषण भी वर्ण्य है।०९ ब्रह्मचर्य महाव्रत का भी संन्यासी को पूर्ण रूप से पालन करना चाहिए। संन्यासी के लिए जलपात्र, जल छानने का वस्त्र, पादुका, आसन आदि कुछ आवश्यक वस्तुएँ रखने का विधान है।7° धातुपात्र का प्रयोग संन्यासी के लिए निषिद्ध है। आचार्य मनु ने लिखा है-संन्यासी जलपात्र या भिक्षापात्र मिट्टी, लकड़ी, तुम्बी या बिना छिद्र वाला बाँस का पात्र रख सकता है। यह सत्य है कि जैन परम्परा में जितना अहिंसा का सूक्ष्म विश्लेषण है उतना सूक्ष्म विश्लेषण वैदिक परम्परा के ग्रन्थों में नहीं हुआ है। वैदिक ऋषियों ने जल, अग्नि, वायु आदि में जीव नहीं माना है। यही कारण है जलस्नान को वहाँ अधिक महत्त्व दिया है। पंचाग्नि तपने को धर्म माना है, कन्द-मूल के आहार को ऋषियों के लिए श्रेष्ठ आहार स्वीकार किया है। तथापि हिंसा से बचने का उपदेश तो दिया ही गया है। वैदिक ऋषियों ने सत्य बोलने पर बल दिया है। अप्रिय सत्य भी वर्ण्य है। वही सत्य बोलना श्रेयस्कर है जिससे सभी प्राणियों का हित हो। इसी तरह अन्य व्रतों की तुलना महाव्रतों के साथ वैदिक परम्परा की दृष्टि से की जा सकती है। महाव्रत और दस शील
जिस प्रकार जैन परम्परा में महाव्रतों का निरूपण है, वैसा महाव्रतों के नाम से वर्णन बौद्ध परम्परा में नहीं है। विनयपिटक महावग्ग में बौद्ध भिक्षुओं
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