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दशवकालिकसूत्र : एक समीक्षात्मक अध्ययन * १२९ १
.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.वे जैन संघ के आचार्य हैं। माता की अनुमति लेकर वह चम्पा पहुँचा। आचार्य शय्यम्भव ने अपने ही सदृश मनक की मुख-मुद्रा देखी तो अज्ञात स्नेह बरसाती नदी की तरह उमड़ पड़ा। बालक ने अपना परिचय देते हुए कहा-“मेरे पिता शय्यम्भव हैं, क्या आप उन्हें जानते हैं ?" शय्यम्भव ने अपने पुत्र को पहचान लिया। मनक को आचार्य ने कहा- 'मैं शय्यम्भव का अभिन्न (एक शरीरभूत) मित्र हूँ।" आचार्य के त्याग-वैराग्य से छलछलाते हुए उपदेश को सुनकर मनक आठ वर्ष की अवस्था में मुनि बना। आचार्य शय्यम्भव ने बालक मनक की हस्तरेखा देखी। उन्हें लगा-बालक का आयुष्य बहुत ही कम है। इसके लिए सभी शास्त्रों का अध्ययन करना संभव नहीं है।३३ दशवैकालिक का रचनाकाल ___ अपश्चिम दशपूर्वी विशेष परिस्थिति में ही पूर्वो से आगम निर्वृहण का कार्य करते हैं। आचार्य शय्यम्भव चतुर्दश पूर्वधर थे। उन्होंने अल्पायुष्क मुनि मनक के लिए आत्म-प्रवाद से दशवैकालिकसूत्र का निर्वृहण किया।३५ छह मास व्यतीत हुए और मुनि मनक का स्वर्गवास हो गया। शय्यम्भव श्रुतधर तो थे पर वीतराग नहीं थे। पुत्र-स्नेह उभर आया और उनकी आँखें मनक के मोह से गीली हो गई। यशोभद्र प्रभृति मुनियों ने खिन्नता का कारण पूछा।३६ आचार्य ने बताया कि मनक मेरा संसारपक्षी पुत्र था, उसके मोह ने मुझे कुछ विह्वल किया है। यह बात यदि पहले ज्ञात हो जाती तो आचार्यपुत्र समझकर उससे कोई भी वैयावृत्य नहीं करवाता, वह सेवाधर्म के महान् लाभ से वंचित हो जाता। इसीलिए मैंने यह रहस्य प्रकट नहीं किया था। आचार्य शय्यम्भव २८ वर्ष की अवस्था में श्रमण बने। अतः दशवैकालिक का रचनाकाल वीर निर्वाण संवत् ७२ के आसपास है। उस समय आचार्य प्रभवस्वामी विद्यमान थे,२७ क्योंकि आचार्य प्रभव का स्वर्गवास वीर निर्वाण ७५ में होता है।३८ डॉ. विण्टरनित्ज ने वीर निर्वाण के ९८ वर्ष पश्चात् दशवैकालिक का रचनाकाल माना है,३९ प्रो. एम. वी. पटवर्द्धन का भी यही अभिमत है। ° किन्तु जब हम पट्टावलियों का अध्ययन करते हैं तो उनका यह कालनिर्णय सही प्रतीत नहीं होता क्योंकि आचार्य शय्यम्भव वीर निर्वाण संवत् ६४ में दीक्षा ग्रहण करते हैं। उनके द्वारा रचित या निर्वृहण की हुई कृति का रचनाकाल वीर निर्वाण संवत् ९८ किस प्रकार हो सकता है ? क्योंकि संवत् ६४ में उनकी दीक्षा हुई और उनके आठ वर्ष पश्चात् उनके पुत्र मनक की दीक्षा हुई।४२ इसलिए वीर
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