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________________ मुक्ता सुक्ति मुद्रा प्रथम दो गाथा बोलें । मग्गाणुसारिआ कलह अपवादिक मुद्रा । सारा कृपया दान वारिज्जई... से संपूर्ण सूत्र 'मुद्रा में बोलें in Education International योग सिहरे... (स्त्रात्र पूजा) मूल सूत्र पद क्रमानुसारी अर्थ जय वीयराय ! जगगुरु !, जय वीय-राय ! जग-गुरु !, हे वीतराग प्रभु ! आपकी जय हो, हे जगद् गुरु ! होउ ममं तुह पभावओ भयवं । होउ म मम् तुह-पभा-वओ भय-वम् । मुझे हो, हे भगवन् ! आपके प्रभाव से भव्यनिव्वेओ भव- निव्-वेओ भव निर्वेद (संसार के प्रति वैराग्य ) फलसिद्धी ॥१॥ मग्-गा-णु- सारि-आइट्-ठ-फल-सिद्धी ॥ १ ॥ गाथार्थ : हे वीतराग प्रभु ! हे जगद् गुरु ! आपकी जय हो ! हे भगवन् मार्ग के अनुसार प्रवृत्ति, इष्ट फल की सिद्धि (मुझे प्राप्त हो ) । १. 'जयवीयराय जगगुरु १) जयवीयराय !.. पभावओ भयवं !' प्रभुजी के समक्ष णिधान करते हुए मस्तक पर अंजलि कर १३ वस्तु की । प्रतापूर्वक याचना । मार्गानुसारिता = B १९. श्री जय वीयराय सूत्र छंग का नाम : गाहा; राग : जिण जम्म सेरु उच्चारण में सहायक आदान नाम : श्री जय वीयराय सूत्र : प्रणिधान (प्रार्थना ) सूत्र गौण नाम : २० : २० : १९ : १७२ : १९१ अनीति पद संपदा गुरु-अक्षर लघु-अक्षर सर्व अक्षर नीति ईर्ष्या शुभेच्छा ३) मग्गाणुसारिया = मार्गानुसारी के ३५ गुण अपनी अंतरात्मा में प्रगट हों तथा मोक्षमार्ग को अनुसरण करने की तत्त्व जज्ञासा उत्पन्न हो, ऐसी प्रभु से प्रार्थना । For P विषय 8 परमात्मा के पास भक्ति के फल के रूप में १३ प्रकार की प्रार्थना- याचना | (मोक्ष) मार्ग के अनुसार प्रवृत्ति (मोक्ष मार्ग में गमन करने में सहयक इष्ट फल की सिद्धि । १. ! आपके प्रभाव से संसार के प्रति वैराग्य, (मोक्ष) रोग में समाधि खमय भी संसार असार भवनिर्वेद (२) ' भव-निव्वेओ' = देव-मनुष्यभव में सुखमय संसार भी असार ही है, ऐसी भावना अंतरात्मा में प्रगट हो, प्रभु से ऐसी प्रार्थना..। इष्टफलसिद्धि ( ४ ) 'इट्ठफलसिद्धि' निर्मळ चित्त से प्रभुजी का दर्शनपूजन करने की शक्ति, रोग में समाधिभाव रहे, आजीविका समाधि/ देवदर्शन सुयोग्य आजीविका मिलती रहे तथा यथायोग्य प्रसन्नातारूप समाधि रहे, ऐसी प्रभु से प्रार्थना । www.jalinetiorary
SR No.002927
Book TitleAvashyaka Kriya Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
PublisherMokshpath Prakashan Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Spiritual, & Paryushan
File Size66 MB
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