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________________ १४. श्री नमुऽत्थु णं सूत्र देववंदन, चैत्यवंदन तथा प्रतिक्रमण करते समय यह सूत्र बोलते-सुनते समय की मुद्रा। आदान नाम : श्री नमुत्थुणं सूत्र गौण नाम : शक्रस्तव सूत्र गाथा ९+१ : १० पद संपदा गुरु-अक्षर : ३३ लघु-अक्षर :२६४ सर्व अक्षर :२९७ | विषयः श्री तीर्थंकर परमात्मा की उनके गुणों के द्वारा स्तवना। अपवादिक मद्रा। १.स्तोतव्य संपदा मूल सूत्र उच्चारण में सहायक पद क्रमानुसारी अर्थ नमुऽत्थुणं अरिहंताणं नमुत्-थु-णम्,अरि-हन्-ता-णम्, नमस्कार हो अरिहंत भगवंताणं ॥१॥ भग-वन्-ता-णम् ॥१॥ भगवंतों को। १. गाथार्थ : अरिहंत भगवंतों को नमस्कार हो।१ २. ओघहेतु संपदा आइगराणं तित्थयराणं, आइ-गरा-णम्, तित्-थ-यरा-णम्, । (श्रुत की) आदि करने वाले, तीर्थंकर, सयं-संबुद्धाणं ॥२॥ सयन्-सम्-बुद्-धा-णम् ॥२॥ स्वयं बोध प्राप्त किये हुए । २. गाथार्थ : श्रुत की आदि करने वाले, तीर्थंकर, स्वयं बोधप्राप्त किये हुए । २. ३.विशेष हेतु संपदा पुरिसुत्तमाणं पुरिस-सीहाणं, पुरि-सुत्-त-मा-णम्, पुरि-स-सीहा-णम्, पुरुषों में उत्तम, पुरुषों में सिंहसमान निर्भय, पुरिस-वरपुंडरीआणं, पुरि-स-वर-पुण्-डरी-आणम्, पुरुषों में पुंडरीक कमल समान श्रेष्ठ, पुरिस-वरगंध-हत्थीणं ॥३॥ पुरि-स-वर-गन्-ध-हत्-थी-णम्॥३॥ पुरुषों में गंधहस्ती (हाथी)समान श्रेष्ठ,३. गाथार्थ :पुरुषों में उत्तम, पुरुषों में सिंहसमान, पुरुषों में पुंडरीक कमल समान श्रेष्ठ, पुरुषों में गंधहस्ती के समान श्रेष्ठ।३. ४. सामान्योपयोग संपदा लोगुत्तमाणंलोग-नाहाणं लोगुत्-त-मा-णम्,लोग-नाहा-णम्, लोक में उत्तम,लोककेनाथ, लोग-हियाणंलोग-पईवाणं लोग-हिया-णम्,लोग-पई-वा-णम्, लोकका हित करनेवाले,लोक में दीपक समान, लोग-पज्जोअगराणं॥४॥ लोग-पज्-जो-अ-गरा-णम्॥४॥ लोक में प्रकाश करने वाले, ४. गाथार्थ : लोक में उत्तम,लोक के नाथ,लोकका हित करनेवाले,लोक में दीपक समान,लोक में प्रकाश करने वाले।४. ५. तद्-हेतु संपदा अभय-दयाणंचक्खु-दयाणं, अभ-य-दया-णम् ,चक्-खु-दया-णम् अभय प्रदान करने वाले,(सम्यक्त्व रूपी) नेत्र प्रदान करने वाले, मग्ग-दयाणं सरण-दयाणं, मग-ग-दया-णम्, सर-ण-दया-णम्, (मोक्ष)मार्ग-दर्शक,शरण देनेवाले, बोहि-दयाणं ॥५॥ बोहि-दया-णम् ॥५॥ बोधि-बीज देनेवाले,५.. गाथार्थ:अभय प्रदान करने वाले, नेत्र प्रदान करने वाले,मार्ग दिखाने वाले,शरण देने वाले,बोधि-बीज देने वाले।५. ६.विशेषोपयोग संपदा धम्मद-याणं, धम्म-देसयाणं, धम्-म-दया-णम्, धम्-म-देस-याणम्, धर्म प्रदान करने वाले, धर्मोपदेश देने वाले धम्म-नायगाणं, धम्म-सारहीणं, धम्-म-नाय-गा-णम्, धम्-म-सार-हीणम्, धर्म के स्वामी, धर्म के सारथी / प्रवर्तक, धम्म-वर-चाउरंतधम्-म-वर-चाउ-रन्-त चतुर्गति नाशक श्रेष्ठ धर्म (मोक्षमार्ग) रूपी चक्कवट्टीणं ॥६॥ चक्-क-वट-टीणम् ॥६॥ चक्र धारण करने वाले चक्रवर्ती । ६. गाथार्थ : धर्म प्रदान करने वाले, धर्मोपदेश देने वाले, धर्म के स्वामी, धर्म के सारथी, चतुर्गति नाशक श्रेष्ठ धर्म रूपी चक्र को धारण करने वाले चक्रवर्ती । ६. २१ Jamedicationintmetuna FOR Private Personaruwaonly
SR No.002927
Book TitleAvashyaka Kriya Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
PublisherMokshpath Prakashan Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Spiritual, & Paryushan
File Size66 MB
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