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________________ TX 'गुरु स्थापना करते समय खड़े पैर बैठने की मुद्रा I' मूल सूत्र पंचिंदिय-संवरणो, अशुद्ध तहनह विय पंचविचार पालण पंचमहावय जुत्तो छत्तीस गुरु गुरु २ श्री पंचिदिय सूत्र आदान नाम : श्री पंचिदिय सूत्र : सुगुरु स्थापना सूत्र : ८ गौण नाम पद संपदा गुरु-अक्षर लघु-अक्षर सर्व अक्षर शुद्ध तह नवविह २ : १० : ७० : ८० 'गुरु स्थापना करते समय पालथी में बैठकर करने की मुद्रा ।' १८ गुणो दोष त्याग स्वरुप है, छंद का नाम : गीति; राग : जिण जम्म समये मेरु सिहरे (स्नात्र पूजा ) उच्चारण में सहायक पद क्रमानुसारी अर्थ पाँच इंद्रियों को वश में रखने वाले, तथा नव प्रकार की ब्रह्मचर्य की गुप्तियों को धारण करने वाले, चार प्रकार के कषायों से मुक्त, इन अट्ठारह गुणों से युक्त । १. चउ-विह कसा-य-मुक्-को, चडविह- कसाय - मुक्को, इअ अट्ठारस-गुणेहिं संजुत्तो ॥१॥ इअ अट्-ठा-रस गुणो-हिम् सञ् (सन् ) जुत्-तो ॥१॥ गाथार्थ : पाँच इंद्रियों को वश में रखने वाले, नव प्रकार की ब्रह्मचर्य की गुप्तियों को धारण करने वाले, चार प्रकार के कषायों से मुक्त-इन अट्ठारह गुणों से युक्त । १. पञ् (पन् )- च महव् - वय जुत्-तो, १८ गुणो गुण स्वीकार स्वरुप है। छंद का नाम : गाहा; राग : मचकुंद-चंपमालई (स्नात्र पूजा) पंच- महव्वय-जुत्तो, पाँच महाव्रतों से युक्त, पंच- विहा - यार - पालण - समत्थो पंच-समिओ ति-गुत्तो, छत्तीस - गुणो गुरु मज्झ ॥२॥ । पञ् (पन्) - च- विहा - यार - पाल-ण- समत्-थो। पञ् (पन् )- च-समि-ओ-ति-गुत्-तो, छत् तीस-गुणो गुरु-मज्-झ ॥२॥ पञ् (पन्)- चिन्-दिय - सर्वं (सम्) - वर-णो, तह नव-विह-बंभचेर-गुत्तिधरो । तह नव-विह-बम्-भ-चेर-गुत्-ति-धरो । पंचविहायार पालण पंच महव्वय जुत्तो छत्तीस गुणो गुरु 'उत्थापन मुद्रा' खड़े पैर करने की विधि' उत्थापन मुद्रा' | विषयः १८ गुण दोषत्याग स्वरूप तथा १८ गुणस्वीकार स्वरूप कुल ३६ गुणों का वर्णन । पालथी में बैठकर करने की विधि। Personal Use Only पाँच प्रकार के आचारों का पालन करने में समर्थ, पाँच समितियों से युक्त और तीन गुप्तियों से युक्त, (इन) छत्तीस गुणों वाले मेरे गुरु हैं । २. गाथार्थ : पाँच महाव्रतों से युक्त, पाँच प्रकर के आचारों का पालन करने में समर्थ, पाँच समितियों से युक्त और तीन गुप्तियों से युक्त (इन) छत्तीस गुणों वाले मेरे गुरु है । २. www.jainelibrary.org
SR No.002927
Book TitleAvashyaka Kriya Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
PublisherMokshpath Prakashan Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Spiritual, & Paryushan
File Size66 MB
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