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________________ चक्रों के चतुर्विधध्यान स्तोत्र से कमल की पंखुड़ियों का ध्यान श्री श्रीतपसे सिद्धेभ्यो श्रीदर्शनाय नमः नमः नमः TTI श्रीसर्वसाधुभ्यो श्रीअर्हद्भयो श्रीसूरिभ्यो नमः नमः नमः ता सि । मः हं श्रीचारित्राय श्री श्रीज्ञानाय नमः उपाध्यायेभ्यो नमः नमः गुदलिङ्गमध्ये आधारचक्रं प्रथमम् । (१)मूलाधार चक्र (गुदा तथा लिंग के बीच): चारपंखुड़ियों वाला कमल होता है। वह 'नमः सिद्धम्' इन चार अक्षरों से समृद्ध होता है । कर्णिका में प्रणव ( ॐ कार),जो पंचपरमेष्ठि के पाँच वर्णों से युक्त है। इसका ध्यान सुख देनेवाला है । (पंचपरमेष्ठि के प्रथम अक्षर से ॐकार-अ+अ(अशीरी) + आ + उ+ म्(मुनि)= ॐ होता है।) लिङ्गमूले स्वाधिष्ठानचक्रं द्वितीयम् । २)स्वाधिष्ठान चक्र (लिग का मूल) षट्कोणीय आकृतिवाला होता है। वह इस आकृति के मध्य से लेकर प्रदक्षिणा में अर्थात् क्रमशः 'नमो अरिहंताणं' यह सात अक्षरों का महामन्त्र है। इसका ध्यान दुःख का हरण कर लेता है। नाभौ मणिपूरचक्रं तृतीयम् । (३) मणिपूर चक्र (नाभि पर) आठ पंखुड़ियोंवाला होता है। इसके मध्य स्थान पर तथा मूल दिशाओं में पंच-परमेष्ठि और नाभिप्रदेश पर विदिशा में दर्शन - ज्ञान - चारित्र - तप का ध्यान करना चाहिए। सिद्धाविका चक्रेश्वरी भी अजितबला दुरितारि। गोमुख महायक्ष उनका पद्मावती सिखा मातंग गांधारी अंबिक अब पार्थ विशाला मादेवी कदेती विजया भाभकुटिगोन शिवा वाम अमित संभव/ नसी रोहिणी मा सिद्धारी मंगल छ वक्षनावमबुरू कालिका महाकाली मानसी महामानसी/ अ: |आ3 रोट्या अच्छुमा आॐ Harea धारिणी धरणाप्रिया नरदान अहेवकुबर करुणा/ साहे अहँ नमः Jahanipa श्रीगौतमस्वामिने श्यामा | शांता JHAARAamiry बडाकुशवक्रारी मातंग विजय/ X AAAA उ/ गन्धर्व एए/ A उसाला मानवी/ १० १ 2010 namah RA प्रकुटि सुतारका अशोका DIRI PXRels HERI कंदी निर्वाणी m Magne Dhanh le May ISAR USE हृदये अनाहतचक्रं चतुर्थम् । (४) अनाहत चक्र (हृदय पर) सोलह पंखुड़ियोंवाला कमल होता है। उसमें सोलह अक्षरवाली महाविद्या होती है तथा सोलह स्वर से सूचित सोलह विद्यादेवियों से युक्त है । इसकी कर्णिका में 'गौतमस्वामिने नमः' मंत्र है । उसे नमस्कार करना चाहिए। कण्ठे विशुद्धिचक्रं पञ्चमम् । (५) विशुद्धचक्र (कंठपर) चौबीस पंखुड़यों वाला कमल होता है । उसमें चौबीस तीर्थकर, उनकी माताएँ तथा यक्षयक्षिणियाँ होती हैं। इसकी कर्णिका में जिनशक्ति अर्थात् अहँ नमः है। उसका ध्यान करना चाहिए। XIREdesstion International
SR No.002927
Book TitleAvashyaka Kriya Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
PublisherMokshpath Prakashan Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Spiritual, & Paryushan
File Size66 MB
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