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________________ पद का नाम १. श्री अरिहंत पद २. श्री सिद्ध पद ३. श्री आचार्य पद ४. श्री उपाध्याय पद क्रम ५. श्री साधु पद ६. श्री दर्शन पद ७. श्री ज्ञान पद ८. श्री चारित्र पद ९. श्री तप पद सहस्रदल पद्म द्विदल पद्म घोडशदल पद्म द्वादशदल पद्म दशदल पद्म श्री शाश्वत नवपद की ओली की विधि निम्नलिखित है । वर्ण धान्य अनुसार चावल गेहूँ चना मूँग उड़द चावल चावल चावल चावल घद्दल पद्म चतुर्दल पदा काउस्सग्ग लोगस्स में प्रदक्षिणा खमासमण स्वस्तिक १२ ८ ३६ २५ २७ ३६ २५ २७ ६७ ५१ ७० ५० ५० ५० इस नवपदजी की आराधना करनेवाला यश, कीर्त्ति, रिद्धि, सिद्धि, समृद्धि आदि को प्राप्त करता है तथा इस आराधना का अन्तिम तथा सम्पूर्ण फल परमपद (मोक्ष) की प्राप्ति है । षट्चक्र ६७ ५१ ७० १२ ८ ३६ २५ २७ ६७ ५१ ७० ५० -शून्य चक्र आज्ञा चक्र विशुद्ध चक्र अनाहत चक्र - मणिपूर चक्र १२ ८ स्वाधिष्ठान चक्र मूलाधार चक्र हमारे शरीर में ७२,००० नाड़ियाँ होती हैं। उनका उत्पत्ति स्थान (मूल- कंद) जननेन्द्रिय से दो अंगुल नीचे होता है । मूल-कंद से इडा-पिंगला तथा सुषुम्णा नामक तीन नाड़ियाँ निकलती हैं, जो अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं । उनमें सुषुम्णा नाड़ी मूलाधार चक्र से ब्रह्मारंध्रचक्र तक लंबी है । वह लाल रंग की होती हैं तथा उसमें 'वज्र' नामक नाड़ी होती है । वज्र-नाड़ी में ‘चित्रा' नामक दूसरी नाड़ी होती है । वज्रनाड़ी तेजस्वी तथा चित्रा नाड़ी सात्त्विक होती । १२ ८ ३६ २५ २७ ६७ ५१ ७० श्री नवकारमंत्र के ध्यान से सात चक्र प्रगट होते हैं । For नवकारवाली पद (२०) ॐ नमो अरिहंताणं ॐ नमो सिद्धाणं ॐ नमो आयरियाणं ॐ नमो उवज्झायाणं ॐ नमो लोए सव्वसाहूणं ॐ नमो दंसणस्स ॐ नमो नाणस्स ॐ नमो चारित्तस्स ॐ नमो तवस्स उस चित्रा नाड़ी में एक (अतिशय पतली ) नाड़ी होती है, वह ब्रह्मनाड़ी कहलाती । जब कुंडलिनी जाग्रत होती है, तब ब्रह्मनाड़ी के द्वारा मूलाधार से सहस्त्रार की ओर आगे बढ़ती है। इस बह्यनाड़ी में सात चक्र (१) मूलाधार, (२) स्वाधिष्ठान, (३) मणिपुर, (४) अनाहत, (५) विशुद्ध, (६) आज्ञा चक्र तथा (७) सहस्रार चक्र होते हैं। श्री नवकार मंत्र के उच्चारण के साथ ७२,००० नाड़ियों में चैतन्य शक्ति का संचार होता है । श्री नवकारमंत्र से अंतःकरण पर असर होती है। Portional Lise Only ४१
SR No.002927
Book TitleAvashyaka Kriya Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
PublisherMokshpath Prakashan Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Spiritual, & Paryushan
File Size66 MB
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