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________________ (३) माला जाप : शक्ति के अनुसार माला खरीदनी चाहिए। सूत की माला सर्वथा योग्य मानी जाती है। इसके अतिरिक्त रेशम की माला, चन्दन, रुद्राक्ष, अकलबेर, स्फटिक, मूगा आदि की माला भी शक्ति के अनुसार ली जा सकती है। शान्ति तथा शुभ कार्य के लिए सफेद रंग की माला लेनी चाहिए । जाप में उपयोग करने से पहले माला को पूज्य गुरुभगवन्त के पास अभिमन्त्रित करा लेनी चाहिए। 34A FO अंगूठा तर्जनी मध्यमा LOC00 MASOOOG BOBO AAA अनामिका कनिष्ठिका माला गिनते समय ध्यान में रखने योग्य बातें • स्वयं की तथा अभिमन्त्रित माला का ही प्रयोग करना चाहिए। एकाग्रता बढ़ती है। .चन्दन अथवा सूत की माला का प्रयोग करना चाहिए। माला गिनते समय एक मनका पर मन्त्र पूरा हो जाने के एक निश्चित समय तथा स्थल पर माला गिननी चाहिए। बाद ही दूसरे मनके को स्पर्श करना चाहिए। मुंह पूर्व दिशा में रहे, इस प्रकार बैठकर जाप करना चाहिए। माला गिनते समय प्रमादवश नीद आने पर यदि माला .यदि पूर्व दिशा में अनुकूलता न हो तो उत्तर दिशा में मुंह रखकर गिर जाए तो दूसरी बार पुनः पहले से माला गिननी जाप करना चाहिए। चाहिए तथा माला गिर गई है, इसकी आलोचना पूज्य • जाप में शुद्ध तथा अखण्ड वस्त्र धारण करना चाहिए। गुरु-भगवन्त के पास से लेनी चाहिए। सफेद गर्म ऊन का समचौरस आसन होना चाहिए। माला टूट जाए, खो जाए अथवा अन्य कोई नुकशान हो •माला गिनते समय मणकों को नाखून से स्पर्श नहीं करना चाहिए। जाए तो उसकी भी आलोचना लेनी चाहिए। •माला हृदय के नजदीक, नाभि से ऊपर तथा नाक से नीचे होनी.यदि माला भूल से नीचे गिर जाए तो पू. गुरुभगवन्त के चाहिए। पास दुबारा अभिमन्त्रित करा लेनी चाहिए। • माला शरीर के कोई भी भागों को तथा वस्त्र को स्पर्श नहीं माला भूमि पर, आसन पर, चरवाला अथवा मुंहपत्ति पर करनी चाहिए। नहीं रखना चाहिए। •माला के ऊपर एक बड़ा दाना होता है, जिसे मेरु कहा जाता है। जिस माला से श्री वीतराग परमात्मा तथा श्री • एक माला पूर्ण हो तो मेरु का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। सिद्धचक्रजी का जाप किया जाता हो, उस माला से श्री अर्थात् माला पूरी होने पर वापस दूसरी बार अंतिम से गिनने की सरस्वती देवी मन्त्र, विद्यामन्त्र-अधिष्ठायक देव-देवी मन्त्र शुरुआत करनी चाहिए। आदि नहीं गिनना चाहिए। यदि भूल से गिना गया हो तो माला गिनते समय पद्मासन, सिद्धासन, स्वस्तिकासन अथवा उस माला पर पुनः परमात्मा का मन्त्र नहीं गिनना चाहिए। पालथी लगाकर सुखासन में बैठना चाहिए। जिस माला से देव-देवी आदि का मन्त्रजाप किया जाता • माला गिनते समय मेरुरज्जु को बिल्कुल सीधा रखने से हो, उस माला से प्रभु का जाप नहीं करना चाहिए। ३९ E nterintionaly A rsonal Use Only www brary
SR No.002927
Book TitleAvashyaka Kriya Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
PublisherMokshpath Prakashan Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Spiritual, & Paryushan
File Size66 MB
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