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मेहकुमारो
(५३) मेघकुमार : श्रेणिक राजा की धारिणी नामक रानी के पुत्र । आठ राजकुमारियों से विवाह करने पर भी प्रभुवीर की | देशना से प्रतिबोध पाकर चारित्र स्वीकार किया । नवदीक्षित मुनि का संथारा अन्तिम होने के कारण सारी रात साधुओं के आवागमन से धूल उड़ने के कारण निद्रा नहीं आई थी । अतः इससे खिन्न चारित्र नहीं पाला जा सकता है, ऐसा समझकर रजोहरण वापस करने का विचार किया। प्रातः काल प्रभु सामने से बुलाकर किया गया दुर्ध्यान बतलाकर पूर्वजन्म के | हाथी के भव में खरगोश को बचाने की दया से कैसा कष्ट सहन किया था, वह बतलाया । प्रतिबोध पाकर आँख और पैर के अतिरिक्त शरीर के किसी भी अंग का उपचार नहीं कराने की घोर प्रतिज्ञा लेकर निर्मल चारित्र का पालन कर स्वर्गवासी हुए।
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चंदनबाला
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( २ ) चंदनबाला : चंपापुरी के दधिवाहन राजा - धारिणी रानी की कुलदीपिका । कौशांबी के राजा शतानिक के हमले में पिता भाग गए, माता ने शीलरक्षा हेतु बलिदान दिया और बाजार में खड़ीखड़ी बिक गई। धनवाह शेठ ने खरीदकर उसे बेटी की तरह रखा । परन्तु श्रेष्ठिपत्नी मूला को शंका हुई कि भविष्य में शेठ इसके साथ विवाह करेगा। इसलिए उसने चंदनबाला का मुंडन कर पैरों में बेडी डाल दिया। अंधेरे कमरे में बंद कर दिया। तीसरे दिन शेठ को इस बात का पता चला तो सूपडे में उड़द के बाकुले देकर जंजीर तुड़वाने के लिए लुहार को बुलाने गए। तभी प्रभु वीर के अभिग्रह की पूर्ति उड़द से करने के लिए बाकुला वहोराते हुए पंचदिव्य प्रगट हुए। आखिर प्रभु वीर के हाथों दीक्षित होकर ३६,००० साध्वियों। में प्रमुख हुई, अनुक्रम से केवली होकर मोक्ष में गई ।
For Phyalu
सुलसा
(१) सुलसा : श्रेणिक की सेना का मुख्य रथी नागरथ की धर्मपत्नी । प्रभु महावीरदेव के प्रति परमभक्ति तथा श्रद्धा रखती थी । देवसहाय से हुए ३२ पुत्रों की श्रेणिक की रक्षा के लिए युद्ध में एक साथ मृत्यु हुई जानकर, भवस्थिति का विचार कर, न तो स्वयं किसी प्रकार का शोक किया, न पति को ही शोक करने दिया । प्रभु वीर ने अंबड के द्वारा धर्मलाभ कहलाया । तब अंबड द्वारा इन्द्रजाल से ब्रह्मा, विष्णु, महेश तथा तीर्थंकर की समवसरण ऋद्धि देखकर भी सुलसा श्रद्धा से जरा भी विचलित नहीं हुई । अतः घर जाकर धर्मलाभ पहुँचाया । देवकृत सम्यक्त्व परीक्षा में लक्षपाक तेल की ४ बोतल फूट जाने पर भी कषाय नहीं किया । मृत्यु को प्राप्त कर देवलोक में गई। अनागत चौबीसी में निर्मम | नामक १५ वे तीर्थंकर होंगे।
मणारमा
(३) मनोरमाः सुदर्शन शेठ की पतिव्रता पत्नी, जिसने सहायता के लिए काउस्सग्ग ध्यान में शासनदेवता को आकर्षित किया था ।
(४) मदनरेखा : मणिरथ राजा के
छोटे भाई
युगबाहु की अत्यंत रूपवती तथा शीलवती
धर्मपत्नी ।
मणिरथ ने मदनरेखा को
मयणरेहा
विचलित करने के अनेक प्रयत्न किए। परन्तु उसमें निष्फल | होने पर अन्त में युगबाहु की हत्या की। पति को अंत समय में अद्भुत समाधि देकर गर्भवती मदनरेखा वहाँ से भाग गई । जंगल में जाकर एक पुत्र को जन्म दिया। जो बाद में नमि राजर्षि हुए। उसके बाद मदनरेखा ने दीक्षा लेकर आत्म कल्याण की साधना की ।
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