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श्राविका सुलसा और राजकुमारी चंदनबाला, शेठाणी मनोरमा, राणी मदनरेखा और राणी दमयंती, श्रेष्ठी पत्नी नर्मदा सुंदरी और राणी सीता,
नन्-दा भद्-दा सु-भद्-दा-य ॥८॥ राणी नंदा, श्रेष्ठी पत्नी भद्रा और श्रेष्ठी पत्नी सुभद्रा ८. मनोरमा, मदनरेखा, दमयंती, नर्मदा सुंदरी, सीता, नंदा, भद्रा, सुभद्रा और । ८. राइ-मई रिसिदत् ता, राजकुमारी राजीमती और राणी ऋषीदत्ता,
राइमई रिसिदत्ता,
राणी ज्येष्ठा और राजकुमारी सुज्येष्ठा और राणी मृगावती, राणी प्रभादेवी और राणी चेल्लणा देवी । ९.
पउमावइ अंजणा सिरीदेवी । पउ-मा-वइ अञ्( अन्) -जणा सिरी देवी । राणी पद्मावती, राणी अंजना सुंदरी और राणी श्रीदेवी, जिट्ठ सुजिट्ठ मिगावई, जिट् ठ सु-जिट्-ठ मिगा-वई, पभावई चिल्लणा देवी ॥९॥ पभा वई चिल्-लणा - देवी ॥९॥ गाथार्थ : राजीमती, ऋषिदत्ता, पद्मावती, अंजना सुंदरी, श्रीदेवी, बंभी सुंदरी रुप्पिणी, बम्-भी 'सुन्दरी रुप्-पिणी, रेवई कुंती सिवा जयंती अ । रेवई कुन्-ती सिवा जयन्ती अ । देवई - दोवई धारणी, देव-ई, दोव-ई- धार णी, कलावई पुप्फचूला य ॥१०॥ कला-वई पुप्-फ-चूला य ॥१०॥ गाथार्थ : ब्राह्मी, सुंदरी, रुक्मिणी, पउमावई य गोरी, गंधारी लक्खमणा सुसीमा य । गन्-धारी लक्-ख-मणा सुसी मा य । राणी गंधारी, राणी लक्ष्मणा और राणी सुसीमा, जंबुवई सच्चभामा, जम्-बू-वई सच्-च-भामा, राणी जंबूवती और राणी सत्यभामा, रुप्पिणी कण्हटु महिसीओ ॥ ११ ॥ रूप-पिणी कण्-हठ्-महिसीओ ॥११॥ गाथार्थ: पद्मावती, गौरी, गांधारी, लक्ष्मणा, सुसीमा, जंबूवती, सत्यभामा जक्खा य जक् ख दिन्-ना, भूआ तह चेव भूअ-दिन्-ना य । सेणा वेणा रेणा,
ज्येष्ठा, सुज्येष्ठा, मृगावती, प्रभावती, चेल्लणा देवी और । ९. राजकुमारी ब्राह्मी, राजकुमारी सुंदरी और सती स्त्री रूक्मिणी, श्राविका रेवती, राणी कुंती, राणी शिवा और राजकुमारी जयंती, राणी देवकी, राणी द्रौपदी, और राणी धारणी राणी कलावती और वणिक् पत्नी पुष्पचूला । १०. रेवती, कुंती, शिवा, जयंती, देवकी, द्रौपदी, धारणी, कलावती, पुष्पचूला और । १०. पउ-मा-वई य गोरी, राणी पद्मावती और राणी गौरी,
राणी रुक्मिणी, श्री कृष्ण की आठ पटराणियां हैं । ११. औररुक्मिणी ये आठ श्री कृष्ण की पटराणियां और । ११. कुमारी यक्षा और कुमारी यक्षदत्ता, कुमारी भूता और इसी तरह कुमारी भूतदत्ता, कुमारी सेना, कुमारी वेना और कुमारी रेना मंत्री पुत्र स्थूलभद्र की बहनें । १२.
सुलसा चंदनबाला, मणोरमा मयणरेहा दमयंती। नमयासुंदरी सीया, नंदा भद्दा सुभद्दा य ॥८ ॥ गाथार्थ : सुलसा, चंदनबाला,
जक्खा य जक्खदिन्ना, भूआ तह चेव भूअदिन्ना य । सेणा वेणा रेणा,
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भईणीओ थूल-भद्-दस्-स ॥१२॥
भणीओ थूलभद्दस्स ॥१२॥ गाथार्थ : यक्षा, यक्षदत्ता, भूता, भूतदत्ता, सेना, वेना और रेना-स्थूलभद्र की ( ये सात ) बहनें । १२.
इच्चाइ महासइओ, जयंति अकलंक
सील - कलिआओ ।
अज्ज वि वज्जइ जासिं,
अज्-ज वि वज्-जड़ जा-सिम्,
आज तक बज रहा है,
जस-पडो तिहुअणे सयले ॥१३॥ | जस-पड-हो तिहु-अणे सयले ॥१३॥ जिनके यश का पटह समस्त तीनों भुवन में । १३. गाथार्थ : इत्यादि निष्कलंक शीयलव्रत को धारण करने वाली महा सतिया जय पाती हैं, जिनके यश का पटह समस्त तीनों भवनों में आज भी बज रहा है । १३.
अशुद्ध वयरिसि
सुल-सा चन्दन - बाला, मणो-रमा मय-ण-रेहा दम यन् ती । नम-या-सुन्दरी सीया,
एमाइ महासता
गुणगणेहि संजुत्ता जेसिं नामगहणे
पावबंधा
कणट्ठ
शुद्ध वयररिसि
इच्-चाइ महा-सड़-ओ, ज-यन्- ति अक-लङ्-कसील-कलिआओ ।
एवमाइ महासत्ता
गुणगणेहिं संजुत्ता जेसिं नामग्गहणे पावप्पबंधा
कण्हट्ठ
इत्यादि महा सतियां
जय को प्राप्त होती हैं, निष्कलंक शीयलव्रत
को धारण करने वाली
• प्रातःकाल राइअ-प्रतिक्रमण के समय सात्त्विकता तथा खुमारी की प्राप्ति हेतु सज्झाय (स्वाध्याय ) रूप में यह बोला जाता है। यह सज्झाय बोलते समय उन-उन महापुरुषों तथा महासतियों के सदगुणों को याद करना चाहिए तथा वैसा बनने का संकल्प करना चाहिए।
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