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३९. श्री कमल दल स्तुति
आदान नाम : श्री कमलदल स्तुति | विषय: गौण नाम : श्री श्रुतदेवता स्तुति
श्रुत देवी : ४
(सरस्वती) का संपदा : ४ गुरु-अक्षर : ४
मनोहर वर्णन लघु-अक्षर : ४०
के साथ सिद्धि सर्व अक्षर : ४४
की प्रार्थना। मूल सूत्र उच्चारण में सहायक
पद क्रमानुसारी अर्थ कमल-दल-विपुल-नयना, कमल-दल-विपुल-नयना,
कमल पत्र जैसे विशाल नेत्रों वाली कमल-मुखी कमलक-मल-मुखी-कमल
कमल जैसे मुखवाली कमल के मध्य भाग गर्भ-समगौरी। गर्-भ-सम-गौरी।
समान गौर वर्ण वाली, कमले स्थिता भगवती, कमले-स्थिता भग-वती,
कमल पर स्थित भगवती ददातु श्रुतदेवता सिद्धिम् ॥१॥ द-दातु श्रुत-देवता सिद्-धिम् ॥१॥ प्रदान करे, श्रुत देवी हम को सिद्धि । १. गाथार्थ : कमल पत्र जैसे विशाल नेत्रोंवाली, कमल जैसे मुखवाली, कमल के मध्य भाग जैसे गौर मुखवाली और कमल पर स्थित श्रुत देवी भगवती (सरस्वती) हम को सिद्धि प्रदान करें। १. ( देवसिअ प्रतिक्रमण में स्त्री वर्ग यह स्तुति बोलते हैं।)
४०. श्री नमोऽस्तु वर्द्धमानाय सूत्र
आदान नाम : श्री नमोऽस्तु वर्द्धमानाय सूत्र विषयः गौण नाम : श्री सायंकालीन वीर स्तुति
शाम के प्रतिक्रमण के गाथा
| यह सूत्र पूर्व में से | समय छह आवश्यक पद
: १२ | उदधृत किया गया हैं।
की पूर्णाहूति का संपदा :१२
| अतः बहेनो यह सूत्र के गुरु-अक्षर : ३० बदले संसार दावानल
हर्ष व्यक्त करने मात्र पुरुषों के लिए
लघु-अक्षर : ९४ | सूत्र की प्रथम तीन | हेतु गुणगणगर्भित प्रतिक्रमण के समय
सर्व अक्षर : १२५ गाथाए बोलें। वीरविभु की स्तुति । बोलनेवाले की मुद्रा। अपवादिका मुद्रा।
सामायिक, चउवीसत्थो, वांदणा, प्रतिक्रमण, काउस्सग्ग, पच्चक्खाण किया है, जी। मूल सूत्र उच्चारण में सहायक
1 पद क्रमानुसारी अर्थ इच्छामो अणुसट्टि इच्-छामो अणु-सट्-ठिम्,
हम गुरु का अनुशासन चाहते हैं। नमो खमासमणाणं, नमो खमा-सम-णा-णम् ।
नमस्कार हो, क्षमाश्रमणों को। नमोऽर्हत्सिद्धाचार्योपा-ध्याय- नमोर्-हत्-सिद्-धा-चार-योपाध्याय- अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय सर्वसाधुभ्यः। । सर्-व-साधु-भ्यः ।।
(और) सभी साधु भगवंतों को नमस्कार हो । गाथार्थ : हम गुरु का अनुशासन (आज्ञा) चाहते हैं । हे क्षमाश्रमणों ! आपको नमस्कार हो । ( परम मंगल स्वरुप) श्री अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और सभी साधु भगवंतों (पंच परमेष्ठि) को नमस्कार हो।
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१८९ osjagaranya
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