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________________ उपयोग के अभाव से होते अशुद्ध उच्चारों के सामने शुद्ध उच्चार अशुद्ध. शुद्ध अशुद्ध वंदितु सव सिद्धे वंदित्तु सव्व सिद्धे भाडी फोडी सुवजेए कम्मं भाडी फोडी सुवज्जए कम्म इच्छामि पाडीकमिउ इच्छामि पडिक्कमिउं वाणिज्ज चेव दंतं वाणिज्जं चेव दंत सावगधमाइयारस्स सावगधम्माइयारस्स एवं खु जंतापिल्लण एवं खु जंत-पिल्लण सुहमो अ बायरो वा सुहमो अ बायरो वा निलंछणं निलंछणं पडिकमे देवसिअंसव्वं पडिक्कमे देसिअंसव्वं तणकंठे तणकटे अप्सत्थेहि अप्पसत्थेहिं कंदप्पे कुकुइए कंदप्पे कुक्कुइए आगमणे निगमणे आगमणे निग्गमणे अहिगरण भोगइरित्ते अहिगरण भोग अइरित्ते छकायसामारंभ छक्कायसमारंभे सचित्ते निखवणे सचित्ते निक्खिवणे बीएणुवयमि बीए अणुव्वयम्मि वायस्स वायाए वाइअस्स वायाए आयरियमपसत्थे आयरियमप्पसत्थे पाव पणासणीया पावपणासणीड़ इत्थ पमायपसंगेण इत्थ पमायप्पसंगेणं विणिगय कहाइ विणिग्गय कहाइ अपरिगणिआ इतर अपरिग्गहिआ इत्तर विरिओमि विराहणाए विरओमि विराहणाए दुपए चउपयम्मि दुपए चउप्पयम्मि दुगंछिअंसव्वं दुगंछिअं सम्म उवभोगे परिभोगे उवभोग-परिभोगे ३६. श्री आयरिय उवज्झाए सूत्र प्रतिक्रमण के समय बोलनेवाली मुद्रा तथा 'भगवओ अंजलि' बोलते समय मस्तक पर हाथ का स्पर्श करना। आदान नाम : श्री आयरिअ उवज्झाए सूत्र गौण नाम : जीवराशि खामणा सूत्र पद : १२ संपदा :१२ विषय: आवश्यक क्रिया में सर्व जीवराशि तथा पूज्यों को क्षमापना करते हुए क्षमा देने की विशिष्ट क्रिया। गाथा : ३ मूल सूत्र उच्चारण में सहायक पद क्रमानुसारी अर्थ आयरिय-उवज्झाए, आय-रिय-उवज्-झाए, आचार्य, उपाध्याय के प्रति, सीसे साहम्मिए कुल-गणे अ। सीसे साहम्-मिए कुल-गणे अ। शिष्य सार्मिक के प्रति, जे मे केइ कसाया, जे मे केइ कसाया, मैंने जो कोई कषाय किये हो, सव्वे तिविहेण खामेमि ॥१॥ सव्-वे तिवि-हेण खामे-मि ॥१॥ उन सबकी मैं तीन प्रकार से, क्षमा मांगता हूँ। १. गाथार्थ : आचार्य भगवंतों, उपाध्याय भगवंतों, उनके शिष्यों, सार्मिकों, कुल (एक आचार्य के परिवार को 'कुल' कहते हैं।) और गण (बहुत सारे आचार्य के परिवार को 'गण' कहते हैं।) के प्रति मेरे द्वारा कोई भी प्रकार का कषाय हुआ हो, उन सभी का मैं मन-वचन-काया से क्षमा ( माफी ) मांगता हूँ।१. १८६ FOCPrime
SR No.002927
Book TitleAvashyaka Kriya Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
PublisherMokshpath Prakashan Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Spiritual, & Paryushan
File Size66 MB
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