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________________ जरा रोग शोक मरण श्रत-धर्मी सुख जन्म,वृद्धावस्था, मृत्यु, रोग, शोक, आदि को नाश करनेवाले, सर्वविरतिराजवैभव-देवलोक तथा अन्त में मुक्तिनगर पहुंचाने में समर्थ ऐसे सर्वकल्याण-कर, देव -दानवों से पूजित ऐसे श्रुतधर्म को प्राप्त कर कौन प्रमाद करे?३. देव दानव पूजित कल्याण गाथा-४ सिद्धे भो गति राव झाब अवधिमापर्वय झाब केवल झाब सर्व अरिहंत भगवंतों के द्वारा अर्थ से देशना एक समान चौदह राजलोक में व्याप्त तथा पांच ज्ञान से युक्त होता है। ऐसे श्रुत को पाकर महामुनि सूर्य का तापमान, शिला पर संथारा, घोर उपसर्ग सहन करने की शक्ति, स्त्री परिषह में निर्लेप्तता, षट्कायों की रक्षा तथा जंगली प्राणियों के प्रति करुणा रखनेवाले होते हैं, अतः यह संयमधर्म देव-दान-नागेन्द्र-किन्नर आदि के द्वारा नम्र होने के कारण मुझे सदा संयम में आनंद देनेवाले बनें । ४. १४५ गणे Jan Education intematonal For Private &Personal use Only:
SR No.002927
Book TitleAvashyaka Kriya Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
PublisherMokshpath Prakashan Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Spiritual, & Paryushan
File Size66 MB
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