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________________ २३. श्री पुक्ख र-वर-द्दीवड्डे सूत्र पद विषय: [आदान नाम : श्री पुक्खर-वर-द्दीवड्वे सूत्र गौण नाम : श्री श्रुतस्तव सूत्र अज्ञान रुपी अंधकार के संपदा : १६ समूह को नाश गुरु-अक्षर : ३४ करने में समर्थ, देववंदन, चैत्यवंदन प्रतिक्रमण में रत्नत्रयी की लघु-अक्षर : १८२ ऐसे श्रुतज्ञान रुप करते समय बोलते शुद्धि हेतु बोलते सर्व अक्षर : २१६ सुनते समय की मुद्रा। सुनते समय की मुद्रा। आगम की स्तुति । छंद : आर्या; राग : जिण जम्म समये मेरु सिहरे... (स्नात्र पूजा) मूल सूत्र उच्चारण में सहायक पद क्रमानुसारी अर्थ पुक्खर-वर-द्दीवड्डे, पुक्-खर-वरद्-दी-वड्-ढे, अर्ध पुष्कर-वर द्वीप में धायइ-संडे अ जंबू-दीवे अ।धाय-इ-सण-डे अजम्-बू-दीवे अ। और धातकी खंड में और जंबू द्वीप में भरहेरवय-विदेहे, भर-हे-रव-य विदे-हे, भरत, ऐरावत और महाविदेह क्षेत्र में धम्माइगरे नमसामि ॥१॥ धम्-माइ-गरे न-मम्-सामि ॥१॥ (श्रुत) धर्म की आदि करनेवालों को मैं नमस्कार करता हूँ। १. गाथार्थ : अर्ध पुष्कर-वर द्वीप, धातकी खंड और जंबू द्वीप में स्थित भरत, ऐरावत और महाविदेह क्षेत्र में (श्रुत) धर्म की आदि करनेवालों को मैं नमस्कार करता हूँ। १. तम-तिमिर-पडल-विद्धं-सणस्स, तम-तिमि-र पड-ल-विद्-धम् सणस्-स, अज्ञान रूपी अंधकार के समूह को नाश करने वाले, सुर-गण-नरिंद-महि-अस्स। सुर-गण नरिन्-द-महि-अस्-स । देवों और राजाओं के समूह से पूजित, सीमा-धरस्स वंदे, सीमा-धरस्-स वन्-दे, मर्यादा धारण करने वाले (श्रत धर्म) को मैं वंदन करता हूँ। पप्फो-डिय-मोह-जालस्स ॥२॥ पप्-फोडि-य-मोह-जा-लस्-स ॥२॥ मोह जाल को तोड़ने वाले, २. गाथार्थ : अज्ञान रूपी अंधकार के समूह को नाश करने वाले, देवों और राजाओं के समूह से पूजित, मर्यादा को धारण करने वाले और मोह जाल को तोड़ने वाले ( श्रुत धर्म ) को मैं वंदन करता हूँ। २. छंद : वसंततिलका; राग : भक्तामर स्तोत्र... जाई-जरा-मरण-सोग-पणा-सणस्स, जाई-जरा-मरण-सोग-पणा-सणस्-स, जन्म,जरा,मृत्युऔर शोक कानाश करनेवाले, कल्लाण-पुक्खल-विसाल कल्-लाण-पुक्-खल-विसा-ल- पुष्कल कल्याण और विशाल सुख सुहा-वहस्स। सुहा-वहस्-स। को देने वाले, को-देव-दाणव-नरिंदको-देव-दा-ण-व नरिन्-द कौन देवेंद्र, दानवेंद्र और गण-च्चिअस्स, गणच्-चिअस्-स, नरेंद्रों के समूह से पूजित धम्मस्स-सार-मुवलब्भ धम्-मस्-स-सार-मुव-लब्-भ- (श्रुत ) धर्म के सार को प्राप्त करे पमायं? ॥३॥ करे पमा-यम् ॥३॥ करके प्रमाद करेगा?।३. गाथार्थ : जन्म, जरा, मृत्यु और शोक को नाश करने वाले, पुष्कल कल्याण और विशाल सुख को देने वाले, देवेंद्र दानवेंद्र और नरेंद्रो के समूह से पूजित (श्रुत) धर्म के सार को प्राप्त कर कौन प्रमाद करेगा? । ३. Jain Echtention interni For Pride & Parsonaru Only १४३
SR No.002927
Book TitleAvashyaka Kriya Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
PublisherMokshpath Prakashan Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Spiritual, & Paryushan
File Size66 MB
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