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काउस्सग्ग करने की विधि • काउस्सग्ग १९ दोष रहित तथा शरीर को एकदम स्थिर: श्री पार्श्वनाथ जिन स्तुति ( = थोय). रखकर, दृष्टि प्रभु के समक्ष अथवा नाक की नोंक की
शंखेश्वर पार्श्वजी पूजीए, ओर रखनी चाहिए । होठ सहज ही एक दूसरे को स्पर्श नरभवनो ल्हावो लीजीए। करे, इस प्रकार बंद रखना चाहिए । जीभ को बीच में
मन-वांछित पूरण सुरतरु, अथवा तालु में स्थिर रखना चाहिए । दांतों की दोनों जय वामा सुत अलवेसरूं ॥१॥ पंक्तिया एक दूसरे को स्पर्श न कर सके, इस प्रकार (थोय में भी चैत्यवंदन के अनुसार उस-उसरखकर काउसग्ग करना चाहिए।
प्रभुजी की थोय बोलनी चाहिए ।) • काउसग्ग करते समय उच्चारण करते हुए, गुनगुनाते फिर वापस एक खमासमण देना चाहिए। हुए अथवा संख्या आदि गिनने के लिए ऊंगलियों की फिर खडे होकर योग मुद्रा में अपनी शक्ति गांठ को स्पर्श नहीं करना चाहिए।
अनुसार पच्चक्खाण लेना चाहिए।
में काउस्सग्ग करें।
इस तरह जिनमु
प्रभात के पच्चक्खाण नवकारशी : उग्गए सूरे, नमुक्कारसहिअं मुट्ठिसहिअं, पच्चक्खाइ (
तिविहार उपवास पच्चखामि) चउव्विहंपि आहारं , असणं, पाणं, खाइम, साइमं अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागाणेणं, सव्व-समाहि
सूरे उग्गए अब्भत्तटुं पच्चक्खाइ वत्तिया-गारेणं,वोसिड (वोसिरामि।)
(पच्चक्खामि), तिविहंपि आहारं, पोरिसि-साढपोरिसि-पुरिमड-अवड्ड
असणं, पाणं, खाइम, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, उग्गए सूरे नमुक्कारसहिअं, पोरिसिं, साढपोरिसिं, सूरे उग्गए पुरिम४,
सहसागारेणं, पारिट्ठावणियग़ारेणं, महत्तरागारेणं, अवटुं मुट्ठिसहिअं पच्चक्खाइ, (पच्चक्खामि), उग्गए सूरे
सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं, पाणहार, पोरिसिं, चउव्विहंपि आहारं, असणं, पाणं,खाइम, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, साढपोरिसिं, सूरे उग्गए पुरिमडे, अवढं मुट्ठिसहिअं, सहसागारेणं, पच्छन्नकालेणं, दिसामोहेणं, साहूवयणेणं, पच्चक्खाइ (पच्चक्खामि), अन्नत्थणाभोगेणं, महत्तरागारेणं, सव्व-समाहि-वत्तिया-गारेणं,वोसिरह (वोसिरामि)। सहसागारेणं, पच्छन्नकालेणं, दिसामोहेणं, साहूआयंबिल-निवि-एकासगुं-बियासणुं
वयणेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं, उग्गए सूरे नमुक्कारसहिअं, पोरिसिं, साढपोरिसिं सूरे उग्गए पुरिमडूं,
पाणस्स लेवेण वा, अलेवण वा, अच्छेण वा, बहुलेवेण अवढं मुट्ठिसहिअं पच्चक्खाइ (पच्चक्खामि), उग्गए सूरे
वा,ससित्थेण वा, असित्थेण वा वोसिरइ ( वोसिरामि)। चउव्विहंपि आहारं, असणं,पाणं, खाइम, साइम, अन्नत्थणाभोगेणं,
धारणा अभिग्रह सहसागारेणं, पच्छन्नकालेणं, दिसामोहेणं, साहूवयणेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं, आयंबिलं, निव्विगइओ
धारणा अभिग्गहं पच्चक्खाइ (पच्चक्खामि) विगइओ पच्चक्खाइ (पच्चक्खामि), अन्नत्थणाभोगेणं,
अरिहंत-सक्खियं, सिद्ध-सक्खियं साहु-सक्खियं, सहसागारेणं, लेवालेवेणं, गिहत्थसंसटेणं, उक्खित्तविवेगेणं,
देव-सक्खियं, अप्प-सक्खियं, अन्नत्थणाभोगेणं, पडुच्चमक्खिएणं, पारिट्ठावणियागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहि
सहसागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं वत्तियागारेणं एगासणं, बियासणं, पच्चक्खाइ (पच्चाक्खामि), वोसिड(वोसिरामि)। चउव्विहंपि तिविहंपि आहारं, असणं, पाणं, खाइमं, साइमं,
देशावगासिक अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, सागरियागारेणं, आउंटेण-पसारेणं, देसावगासियं, उवभोगं परिभोगं, पच्चखाइ गुरुअब्भुट्ठाणेणं, पारिट्ठावणियागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहि
(पच्चक्खामि) अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, वत्तियागारेणं, पाणस्स लेवेण वा, अलेवेण वा, अच्छेण वा,
महत्तरागारेणं, सव्वसमाहि - वत्तियागारेणं, वोसिरह बहुलेवेण वा,ससित्थेण वा असित्थेण वा, वोसिइ ( वोसिरामि।)
(वोसिरामि)। चउविहार उपवास
मुट्ठिसहिअं सूरे उग्गए अब्भत्तटुं पच्चक्खाइ (पच्चकखामि), चउव्विहंपि आहारं असणं, पाणं, खाइमं, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं,
मुट्ठिसहिअं पच्चक्खाइ (पच्चक्खामि) अन्नत्थणापारिट्ठा-वणियागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहि- वत्तियागारेणं
भोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवोसिड (वोसिरामि)।
वत्तियागारेणं, वोसिड (वोसिरामि)।
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