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________________ देववंदन, , चैत्यवंदन तथा प्रतिक्रमण करते समय यह सूत्र बोलते-सुनते समय की मुद्रा । मूल सूत्र अरिहंत चेइआणं, २०. श्री अरिहंत चेइआणं सूत्र आदान नाम : श्री अरिहंत चेइआणं सूत्र विषय : गौण नाम : चैत्यस्तव सूत्र : १५ : ३ गुरु-अक्षर : १६ लघु-अक्षर : ७३ | सर्व अक्षर : ८९ पद संपदा उच्चारण में सहायक अरि-हन्त चेड़-आ- णम्, करे-मि काउस्- सग्-गम् ॥१॥ करेमि काउस्सग्गं ॥ १ ॥ गाथार्थ : अरिहंत भगवान की प्रतिमाओं की आराधना के लिये मैं कायोत्सर्ग करना चाहता हूँ । १. १. अभ्युगपगम संपदा अशुद्ध शुद्ध पूर्ण वतियाए पूअण वत्तियाओ Janocation international ३. हेतु संपदा सद्-धाए, मेहा-ए, धिई-ए, सद्धाए, मेहाए, धिईए, धारणाए, अणुप्पेहाऐ, धार-णा, अणुप्-पेहा-ए, वड्डूमाणी ए ठामि काउस्सग्गं ॥३॥ वड्-ढ-माणी-ए, ठामि काउस्- सग्-गम् ॥३॥ २. निमित्त संपदा वंदण-वत्तियाए, पूण-वत्तियाए, वन्-दण-वत्-ति-याए, पूअ-ण-वत्-ति-याए, सक्कर- वत्तियाए, सम्माण- वत्तिआए, सक्- कारवत्-ति-याए, सम्-माण- वत्-ति-याए, बोहिलाभ-वत्तियाए, बोहि- लाभ-वत्-ति-याए, निरुवसग्ग-वत्तियाए ॥ २ ॥ निरु-व-सग्-ग-वत्-ति-याए ॥२॥ निरुपसर्गस्थिति (मोक्ष) प्राप्त करने के निमत्त से । २. गाथार्थ : वंदन करने के निमित्ते से, पूजन करने के निमित्त से, सत्कार करने के निमित्त से, सन्मान करने के निमित्त से, बोधिलाभ के निमित्त से, मोक्ष प्राप्त करने के निमित्त से । २. प्रभुजी की वंदनादि करने के लिए श्रद्धादि द्वारा आलंबन लेकर कायोत्सर्ग करने का विधान । पद क्रमानुसारी अर्थ अरिहंत भगवान के चैत्यों की (आराधना के लिये) मै कायोत्सर्ग करना चाहता हूँ । १. For Private & Personal Use Only वंदन करने के निमित्त से, पूजन करने के निमित्त से, सत्कारकरने के निमित्त से, सन्मान करने के निमित्त से, बोधिलाभ के निमित्त से, श्रद्धा / विश्वास से, मेघा / बुद्धि से, धृति से, चित्त की स्वास्थता, मन की एकाग्रता से, धारणा से, अविस्मृति से, वृद्धि पाती हुई अनुप्रेक्षा के चिंतन से मैं कायोत्सर्ग करता हूँ । ३. गाथार्थ : बढते परिणाम के साथ वृद्धिवंत श्रद्धा, बुद्धि, धीरता, धारणा, अविस्मृति और अनुपेक्षा के चिंतन से मैं कायोत्सर्ग करता हू । ३. www.jainelibrary.org
SR No.002927
Book TitleAvashyaka Kriya Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
PublisherMokshpath Prakashan Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Spiritual, & Paryushan
File Size66 MB
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