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existence is very large. All the living being who are one-sensed upto foursensed belong to animal state of existence only. The five-sensed living beings are in all the four states of existence. The troubles of five-sensed living beings are visible to a certain extent but the troubles of other living beings who belong to one-sensed category and the like are not mostly known to the human beings. The pain of one-sensed living beings is so intense that it is beyond any imagination. The hellish state is totally troublesome. In this state right from the birth upto their end, the living beings continuously without any break even for a moment bear dreadful pain. Thus the place where one has to bear the most dreadful torture is hell. One can only have a slight glimpse of such pain. The author has mentioned these troubles in paragraphs ahead.
Some people undergo hellish troubles even in the human and animal state of existence. It is also the result of their earlier bad deeds.
नरक भूमि वर्णन DESCRIPTION OF HELL
२३. इओ आउक्खए चुया असुभकम्मबहुला उववजंति णरएसु।
हुलियं महालएसु वयरामयकुड्ड-रुद्द-णिस्संधि-दार-विरहिय-णिम्मद्दव-भूमितलखरामरिसविसम-णिरय-घरचारएसु महोसिणसया-पतत्त दुग्गंध-विस्स-उव्वेयजणगेसु।
बीभच्छदरिसणिज्जेसु णिच्चं हिमपडलसीयलेसु कालोभासेसु य भीम-गंभीर-लोमहरिसणेसु णिरभिरामेसु णिप्पडियार-वाहि-रोग-जरा-पीलिएसु अईव णिच्चंधयार तिमिस्सेसु पइभएसु ववगयगह-चंद-सूर-णक्खत्तजोइसेसु मेय-वसा-मंसपडल-पोच्चड-पूय-रुहि-रुक्किण्णविलीण-चिक्कणरसिया वावण्णकुहियचिक्खल्लकद्दमेसु।
कुकू-लाणल-पलित्तजालमुम्मुर-असिक्खुरकरवत्तधारासु णिसिय-विच्छुयडंक-णिवायोवम्मफरिसअइदुस्सहेसु य।
अत्ताणा असरणा कडयदुक्खपरितावणेसु अणुबद्ध-णिरंतर-वेयणेसु जमपुरिस-संकुलेसु।
२३. जीवों की हिंसा करने वाले वे पापीजन-मनुष्यभव से आयु की समाप्ति होने पर, मृत्यु को प्राप्त होकर अशुभ कर्मों की बहुलता के कारण नरकों में उत्पन्न होते हैं।
क्षेत्र और आयुष्य की दृष्टि से नरक बहुत विशाल-विस्तृत हैं। उनकी भित्तियाँ वज्रमय हैं। उन भित्तियों में कोई सन्धि-छिद्र नहीं है, बाहर निकलने के लिए कोई द्वार नहीं है। वहाँ की भूमि अत्यन्त कठोर है। वह नरकरूपी कारागार विषम है। वहाँ नारकावास अत्यन्त उष्ण एवं तप्त रहते हैं। वे जीव वहाँ दुर्गंध के कारण सदैव उद्विग्न-घबराए हुए रहते हैं।
नरक का दृश्य ही अत्यन्त वीभत्स है, वे देखते ही भयंकर प्रतीत होते हैं। वहाँ (किन्हीं स्थानों में जहाँ शीत की प्रधानता है) हिम-पटल-बर्फ की पहाड़ी के सदृश शीतलता बनी रहती है। वे नरक
श्रु.१, प्रथम अध्ययन : हिंसा आश्रय
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Sh.1, First Chapter : Violence Aasrava |
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