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Sanjni-Sanjni is the special awakening that helps one to discriminate between good and bad for him. Such a trait is only in fivesensed living beings.
Asanjni-All the living beings who have only one, two, three or four senses, are asanjni.
Paryapt―Those living beings whose sense organs in the physical body have fully developed are called paryapt.
Aparyapt-Those living beings whose sense organs have not developed as yet.
हिंसा का फल CONSEQUENCES OF VIOLENCE
२२. तस्स य पावस्स फलविवागं अयाणमाणा वडूढंति महत्भयं अविस्सामवेयणं दीहकालबहुदुक्खसंकडं णरयतिरिक्खजोणिं ।
२२. हिंसा में लिप्त रहने वाले हिंसा के कटु फल- विपाक को नहीं जानते हुए, अत्यन्त भयानक एवं दीर्घकाल पर्यन्त बहुत-से दुःखों से परिपूर्ण एवं लगातार निरन्तर होने वाली दुःखरूप वेदना वाली नरकयोनि और तिर्यंचयोनि को बढ़ाते हैं, उनमें जाकर उत्पन्न होते हैं ।
22. Those who are engaged in violence, they do not know the dreadful results of it. They increase the likelihood of their next span as animal life full of extremely dreadful and full of pain lasting for a long period. That life is going to cause them trouble continuously in hellish state and in animal state of existence.
विवेचन : हिंसा का फल तिर्यंचयोनि और नरकयोनि में उत्पत्ति बतलाया गया है और वह भी अतीव भयोत्पादक एवं निरन्तर दुःखों से परिपूर्ण । तिर्यंचयोनि की परिधि बहुत विशाल है । एकेन्द्रिय से लेकर चतुरिन्द्रिय तक के सभी जीव तिर्यंचयोनिक ही होते हैं। पंचेन्द्रियों में चारों गति के जीव होते हैं। इनमें पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीवों के दुःख तो किसी अंश में प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर होते हैं, किन्तु अन्य एकेन्द्रियादि तिर्यंचों के कष्टों को मनुष्य बहुत ही कम जानता है। एकेन्द्रियों के दुःख और वेदना तो कल्पना से भी परे हैं। नरकयोनि तो एकान्ततः दुःखमय है ही । इस योनि में उत्पन्न होने वाले प्राणी जन्मकाल से लेकर मरणकाल तक निरन्तर - एक क्षण के व्यवधान या विश्राम बिना सतत भयानक से भयानक पीड़ा भोगते ही रहते हैं। इस प्रकार घोरतम दुःखमय वेदना भोगने का जो स्थान है, वही नरकस्थान है। नरक की वेदनाओं का दिग्दर्शन मात्र ही कराया जा सकता है। शास्त्रकार ने उन दुःखों का वर्णन आगे किया है।
कुछ लोग मनुष्य और तिर्यंचयोनि में भी घोर नारकीय यातनाएँ भोगते देखे जाते हैं। इसके पीछे भी उनके कृत दुष्कृत कर्म ही हैं।
Elaboration-It is said that as a result of acts of violence, one takes re-birth either in hellish state or in animal state of existence. The condition there is extremely frightening. The sphere of animal state of
श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र
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