________________
)))
)
))
)
)))
)
)
)
)
0555555555555555555555555555555 卐 (४) हिंस्यविहिंसा-हिंसविहिंसा-जिनकी हिंसा की जाती है, वे हिंस्य जीव कहलाते हैं, उनकी हिंसा के
करना यानी उन्हें सताना, पीड़ा देना 'हिंस्यविहिंसा' है। अथवा हिंसा पर हिंसा करना। यानी किसी ने ॐ किसी पर प्रहार किया तो उस पर उसकी हत्या कर देना हिंसविहिंसा है। जिन्होंने हिंसा के बदले में
प्रतिहिंसा की, उन्होंने जगत् में वैर को बढ़ाया। इसीलिए हिंसविहिंसा पापरूप है। म (५) अकृत्य-संसार में जितने भी कुकृत्य हैं, उन सबमें प्रधान कुकृत्य हिंसा है। अथवा जितने भी * कुकृत्य हैं, उन सबमें हिंसा छिपी हुई है।
(६) घातना-किसी भी प्रकार की चोट पहुँचाना, टक्कर लगाना, उठते-बैठते, चलते-फिरते, ॐ किसी चीज को उठाते-रखते असावधानी से किसी जीव को कुचल देना, उसके प्राणों को हानि पहुँचाना 'घातना' है।
(७) मारणा-मारपीट करना, लात-घूसे मारना, कोड़ों से, लाठी से, चाबुक से किसी पशु या मनुष्य पर प्रहार करना ‘मारणा' है।
(८) वधना-किसी प्राणी के प्राणों को पीड़ा पहुँचाना या नष्ट करना वध है अथवा अपनी जिह्वालोलुपतावश या क्षणिक सुख के लिए बेचारे निरपराध प्राणियों का हनन करना, पशुओं का वध करना म या वध को प्रोत्साहन देना भी वध है। म (९) उपद्रवणा-वन में आग लगाकर या मन बहलाव के लिए अथवा कुतूहलवश भैंसे, मुर्गे, साँड़
आदि को परस्पर लड़ाना उपद्रव है। अथवा कहीं आग लगाना, दंगा-फिसाद करना या पत्थरबाजी ॐ करना या आपस में लाठी, शस्त्र आदि से लड़ना इत्यादि सब उपद्रव हैं, ये भी हिंसा के भाई हैं।
(१०) त्रिपातना या निपातना-किसी जीव के मन, वचन और काया का अतिपात-वियोग करना अथवा आयु, शरीर और प्राणों से पृथक् कर देना त्रिपातना है।
(११) आरम्भ-समारम्भ-मकान बनाना, कारखाना चलाना आदि छोटे-बड़े अनेक कार्यों में स्थावर जीवों की हिंसा होती ही है, कई बार त्रस जीवों की हिंसा भी होती है। इसे शास्त्रीय परिभाषा में आरम्भ + कहते हैं, खुद हिंसा करे उसे आरंभ कहते हैं। दूसरों से करवाते हैं उसे समारंभ कहते हैं। 4 (१२) आयुकर्म का उपद्रव-भेदन-निष्ठापन-गालन और संवर्तक संक्षेप-आयुष्य कर्म को विष, शस्त्र ॐ आदि से उपद्रवित कर देना (संकट में डाल देना), भिन्न कर देना (शरीर के टुकड़े-टुकड़े करके अलग
कर देना), समाप्त कर देना, गला देना तथा श्वासोच्छ्वास (प्राणवायु) का ह्रास कर देना-दम घोंट देना के भी प्राणवध है। ___संवर्तक संक्षेपक का एक अर्थ समस्त बल, सामर्थ्य, शक्ति आदि को क्षीण कर देना भी है। किसी की ताकत को खत्म करने के लिए भूखे-प्यासे रखना, जहर देना, रोगी बना देना, ये सब हिंसा के ही प्रकार हैं।
))
855555555555 5 $ $$$$$$$$ $$$$5555555555555555hhhhhhhh
))
))
))
))
)))
))
)))
))
))
)))
श्रु.१, प्रथम अध्ययन : हिंसा आश्रव
(9)
Sh.1, First Chapter: Violence Aasrava
卐
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org