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(21) Engrossed in Extreme Fear due to Attachment-Violence is the mother of ignorance. It causes extreme state of fear.
(22) Enmity due to Death-Since violence causes death, the victim feels extremely sad. It causes animosity in the victim.
The above-mentioned qualitative interpretations describe the real nature of violence.
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प्राणवध के पर्यायवाची नाम SYNONYMOUS OF HURTING LIFE-FORCE
३. तस्स य णामाणि इमाणि गोण्णाणि होति तीसं-तं जहा
१. पाणवहं, २. उम्मूलणा सरीराओ, ३. अवीसंभो, ४. हिंसविहिंसा तहा, ५. अकिच्चं च, ६. घायणा य, ७. मारणा य, ८. वहणा, ९. उद्दवणा, १०. तिवायणा य, ११. आरंभसमारंभो, ॐ १२. आउयक्कम्मस्सुवद्दयो भेयणिट्ठवणगालणा य संवट्टगसंखेवो, १३. मच्चू, १४. असंजमो,
१५. कडगमद्दणं, १६. वोरमणं, १७. परभवसंकामकारओ, १८. दुग्गइप्पवाओ, १९. पावकोवो य, ॐ २०. पावलोभो, २१. छविच्छेओ, २२. जीवियंतकरणो, २३. भयंकरो, २४. अणकरो, २५. वज्जो,
२६. परियावणअण्हओ, २७. विणासो, २८. णिज्जवणा, २९. लुंपणा, ३०. गुणाणं विराहणत्ति विय * तस्स एवमाईणि णामधिज्जाणि होति तीसं, पाणवहस्स कलुसस्स कडुयफलदेसगाई॥२॥
३. प्राणवधरूप हिंसा के कटु फलों को दर्शाने वाले विविध अर्थों व भावों के द्योतक गुणवाचक 5 तीस नाम इस प्रकार हैं
(गौण' शब्द से एक अर्थ यह भी धोतित होता है कि ये सब नाम तो गौण हैं, मुख्य नाम तो ॐ प्राणवध या हिंसा है।)
(१) प्राणवध-स्वार्थ, अज्ञान और मोह में अन्धे होकर किसी भी प्राणी के प्राणों का घात करना ॐ प्राणवध है। पाँच इन्द्रियाँ, मनबल, वचनबल, कायबल, आयु, श्वासोच्छ्वास, इन दस प्राणों में से किसी म भी प्राणी के कोई भी प्राण को चोट पहुँचाना, सताना, पीड़ा देना, काटना, पीटना या बिल्कुल नष्ट कर
देना प्राणवध है। म (२) शरीर (प्राणों का) से उन्मूलन-जैसे वृक्ष को जड़ से उखाड़ा जाता है, वैसे ही शरीर से जीव को
उखाड़ डालना उन्मूलन है। म (३) अविलंभ-अविश्वास-हिंसा करने वाला सभी जीवों के लिए अविश्वसनीय होता है। उसका - कोई भी विश्वास नहीं करता क्योंकि वह कब किसको मार बैठे, आ दबोचे या अनिष्ट कर डाले, पता ॐ ही नहीं चलता। जैसे चूहे बिल्ली का कदापि विश्वास नहीं करते, वैसे ही संसार में हिंसक प्राणी के प्रति म मनुष्य ही क्या, कोई भी प्राणी विश्वास नहीं करता। हिंसक की आकृति से ही प्राणी पहचान लेते हैं और
उसके पास जाने से हिचकते हैं। इसलिए हिंसा प्राणियों में अविश्वास, शंका, भय और संकोच पैदा ॐ करने वाली होने से इसे अविस्रंभ या अविश्वास कहा है।
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श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र
(8)
Shri Prashna Vyakaran Sutra
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