________________
95959555555555555555555555555555
))))))))))5555558
ॐ द्वितीय भावना-स्त्री-कथावर्जन SECOND SENTIMENT : AVOIDING STORIES ABOUT WOMEN
१४९. बिइयं-णारीजणस्स मज्झे ण कहियव्या कहा-विचित्ता विब्बोय-विलास-संपउत्ता फ़ हाससिंगार-लोइयकहव्व मोहजणणी, ण आवाह-विवाह-वर-कहा, इत्थीणं वा सुभग-दुब्भगकहा,
चउसद्धिं च महिलागुणा, ण वण्ण-देस-जाइ-कुल-रूव-णाम-णेवत्थ-परिजण-कहा इत्थियाणं, + अणा वि य एवमाइयाओ कहाओ सिंगार-कलुणाओ तव-संजम-बंभचेर-घाओवघाइयाओ
अणुचरमाणेणं बंभचेरं ण कहियव्या, ण सुणियव्या, ण चिंतियव्वा । म एवं इत्थीकहाविरइसमिइजोगेणं भाविओ भवइ अंतरप्पा आरयमण-विरयगामधम्मे जिइंदिए ॐ बंभचेरगुत्ते। म १४९. दूसरी स्त्रीकथा विरति भावना : इस प्रकार है-केवल स्त्रियों की ही सभा के बीच बैठकर + अनेक प्रकार की कथा-वार्ता नहीं करनी चाहिए अर्थात् नाना प्रकार की बातें नहीं करनी चाहिए, जो 卐
बातें विब्बोक-स्त्रियों की कामुक चेष्टाओं से और विलास-स्मित, कटाक्ष आदि के वर्णन से युक्त हों, जो ॐ हास्यरस और श्रृंगाररस की प्रधानता वाली लौकिक कथा हों, जो मोह उत्पन्न करने वाली हों। इसी 5 प्रकार द्विरागमन-गौने या विवाह सम्बन्धी बातें भी नहीं करनी चाहिए। स्त्रियों के सौभाग्य-दुर्भाग्य की
भी चर्चा-वार्ता नहीं करनी चाहिए। स्त्रियों की कलाओं, स्त्रियों के रंग-रूप, देश, जाति, कुल, फ़ रूप-सौन्दर्य, भेद-प्रभेद, पोशाक तथा परिजनों सम्बन्धी कथाएँ तथा इसी प्रकार की जो भी अन्य 5
कथाएँ श्रृंगाररस से करुणता उत्पन्न करने वाली हों और जो तप, संयम तथा ब्रह्मचर्य का घात-उपघात ॐ करने वाली हों, ऐसी कथाएँ ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले साधुजनों को नहीं कहनी चाहिए। ऐसी कथाएँ-बातें उन्हें सुननी भी नहीं चाहिए और उनका मन में चिन्तन भी नहीं करना चाहिए।
इस प्रकार स्त्रीकथाविरति-समिति के योग से भावित अन्तःकरण वाला, ब्रह्मचर्य में अनुरक्त चित्त वाला तथा इन्द्रिय विकार से विरत रहने वाला, जितेन्द्रिय साधु ब्रह्मचर्य से गुप्त-सुरक्षित रहता है।
149. The second sentiment is avoidance of talk about women. Its 4 nature is as follows-He should not narrate various types of stories among women. In other words he should not have loose talk with
women-the talk which contains amorous activities, their lustful 41 enjoyments, laughter beautification or like and talk of the common
people. He should avoid talk that generates delusion or attraction for them. Similarly he should not talk about marriage. He should not talk about good or bad luck of women. He should not talk about sixty four arts of ladies, their complexion, country, clan, family, facial beauty, dress and relatives. He should not indulge in other suchlike talks about them which may produce compassion in the context of their beautification and which are likely to adversely affect austerities self-restraint and chastity.
))))))))))))))))))
听听听听听听听听听听听听听
5555555)
|श्रु.२, चतुर्थ अध्ययन : ब्रह्मचर्य संवर
(367)
Sh.2, Fourth Chapter : Chastity Samvar
8555555555555555555
E EEEEE
卐
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org