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द्वितीय अध्ययन :सत्य SECOND CHAPTER : TRUTH
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प्रथम संवरद्वार प्राणातिपात विरमण रूप अहिंसा के विशद् विवेचन के पश्चात् द्वितीय संवरद्वार सत्य का निरूपण किया जा रहा है। अहिंसा की पूर्ण साधना के लिए असत्य से विरत होकर सत्य की के समाराधना आवश्यक है। सत्य की समाराधना के बिना अहिंसा की आराधना नहीं हो सकती। वस्तुतः
सत्य अहिंसा को पूर्णता प्रदान करता है। वह अहिंसा को अलंकृत करता है। अतएव अहिंसा के पश्चात् ॐ सत्य का निरूपण किया जाता है। सत्य की महिमा और उसके स्वरूप का वर्णन निम्नलिखित सूत्र पाठ में
किया गया है। 卐 After discussing in detail non-violence, the first gateway of Samvar,
truth, the second gateway is narrated here. In order to properly follow
non-violence in all aspects, it is essential to discard falsehood and to ॐ practice truth meticulously. Without practicing truth, non-violence i cannot be practiced. In fact truth provides completeness to non-violence.
It beautifies non-violence. So after non-violence, truth is going to be
discussed. The concept of truth and its glory has been described in the 卐 following text. ॐ सत्य की महिमा THE GLORY OF TRUTH
१२०. [१] जंबू ! बिइयं य सच्चवयणं सुद्धं सुचियं सिवं सुजायं सुभासियं सुव्वयं सुकहियं सुदिटुं ॐ सुपइट्ठियं सुपइट्ठियजसं सुसंजमिय-वयण-बुइयं सुरवर-णरवसभ-पवरबलवग-सुविहियजणबहुमयं,
परमसाहुधम्मचरणं, तव-णियमपरिग्गहियं सुगइपहदेसगं य लोगुत्तमं वयमिणं। __विजाहरगगणगमणविज्जाण साहकं सग्गमग्ग-सिद्धिपहदेसगं अवितहं, तं सच्चं उज्जुयं अकुडिलं ॐ भूयत्थं अत्थओ विसुद्धं उज्जोयकरं पभासगं भवइ सव्वभावण जीवलोए, अविसंवाइ जहत्थमहुरं। ___ पच्चस्खं दयिवयं व जं तं अच्छेरकारगं अवत्थंतरेसु बहुएसु मणुसाणं सच्चेण महासमुद्दमझे वि
मूढाणिया वि पोया। सच्चेण य उदगसंभमम्मि वि ण वुज्झइ ण य मरंति थाहं ते लहंति। के सच्चेण य अगणिसंभमम्मि वि ण डझंति उज्जुगा मणुस्सा।
सच्चेण य तत्ततेल्ल-तउलोहसीसगाई छिवंति धरेंति ण य डझंति मणुस्सा।
पव्ययकडकाहिं मुच्चंते ण य मरंति। सच्चेण य परिग्गहिया, असिपंजरगया समराओ वि णिइंति + अणहा य सच्चवाई। वहबंधभियोगवेर-घोरेहिं पमुच्चंति य अमित्तमज्झाहिं णिइंति अणहा य सच्चवाई।
सादेव्याणि य देवयाओ करेंति सच्चवयणे रत्ताणं।
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॥ श्रु.२, द्वितीय अध्ययन : सत्य संवर
. (295) Sh.2, Second Chapter: Truth Samvar 35999999999455555555555555558
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